उज्जैन। मध्यप्रदेश की शिव नगरी उज्जैन में परंपरानुसार सोमवार को निकलने वाली भगवान महाकालेश्वर की अंतिम शाही सवारी में शामिल होने वाले हजारों श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के प्रशासन ने व्यापक स्तर पर इंतजाम किये हैं। महाकालेश्वर मंदिर में प्राचीन परपंरानुसार श्रावण महोत्सव मनाया जाता है।यह एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां डेढ माह तक श्रावण उत्सव के रुप में मनाया जाता है और श्रावण एवं भादौ के प्रत्येक सोमवार को सवारी निकलने की परंपरा है। भगवान महाकालेश्वर की भाद्रपद माह की अन्तिम शाही सवारी 26 अगस्त सायं चार बजे मंदिर से निकाली जायेगी।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार सवारी के साथ घुडसवार, नगर सैनिक, विशेष सशस्त्र बल की टुकडियां तथा पुलिस बैंड के अतिरिक्त भजन मंडलियां सम्मिलित होंगी। पालकी में भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, बैलगाड़ी में गरूड़ पर श्री शिवतांडव, बैलगाडी में नंदी पर श्री उमा महेश, बैलगाडी में डोल के रथ पर होल्कर मुखौटा तथा रथ पर श्री सप्तधान का मुखारविंद भी नगर भ्रमण पर निकलेंगे। यह सवारी महाकाल मंदिर से प्रारंभ होकर महाकाल रोड, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी, होते हुए रामघाट पहुंचेगी।
जहां पूजन के पश्चात सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, मिर्जा नईमबेग मार्ग, तेलीवाडा चौराहा, कंठाल चौराहा, सतीगेट, सराफा, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस पहुंचेगी। महाकाल की सवारी के मार्ग में सुरक्षा व्यवस्था को दृष्टिगत रखते हुए सी.सी.टी.व्ही. कैमरे व पी.ए. सिस्टम लगाये गये हैं, साथ ही साफ-सफाई, विद्युत, पेयजल आदि की व्यवस्थाएं भी की गई है। महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण-भादौ माह में शाही सवारी तक प्रतिवर्षानुसार भगवान के भस्मार्ती में पट खुलने के समय में परिवर्तन किया गया था। सोमवार को शाही सवारी के उपरान्त 27 अगस्त से भगवान के पट पूर्ववत प्रात: 04 बजे खुलेंगे।