नथ पहनने का कस्टम 16वीं शताब्दी से शुरू हुआ। इसकी शुरुआत मिडल-ईस्ट देशों से हुई जो मुगल काल में हिंदुस्तान में भी पापुलर हुई। इसके बाद नाक में पहने जाने वाले इस गहने का महत्व भारत में बढ़ता ही गया। नथ पहनने के पीछे हर महिला की अलग-अलग वजह हो सकती है लेकिन भारत में नोज रिंग के महत्व की तमाम वजहें हैं।
आइए जानते हैं नोज रिंग के कई महत्व...
धार्मिक महत्व
भारत में नथ पहनने का धार्मिक महत्व भी है। हिंदू धर्म में इसे विवाह की देवी पार्वती को सम्मान देने का तरीका माना जाता है। यही वजह है कि हिंदू समुदाय में भी शादीशुदा लड़की के लिए नथ पहनना बेहद अहम माना जाता है।
आयुर्वेदिक महत्व
भारत में नथ पहनने के लिए लेफ्ट साइड को आइडियल माना जाता है। आयुर्वेद में माना गया है कि नोज के लेफ्ट साइड का सीधा कनेक्शन महिला के प्रजनन अंगों से होता है। आयुर्वेद के अनुसार नाक में उल्टी तरफ नोज रिंग पहनने वाली महिला को डिलीवरी और मासिक धर्म के वक्त दर्द कम होता है।
सांस्कृतिक महत्व
भारतीय संस्कृति और परम्परा के मुताबिक नथ को सुहाग और शादी से जोड़ कर देखा जाता है। दुल्हन के गहनों का अहम हिस्सा होती है नोज रिंग। मुस्लिम समुदाय में लड़के वालों की तरफ से लड़की को कपड़े और गहनों के साथ नथ भी भेजी जाती है और निकाह की रस्म नथ पहनने के बाद ही अदा की जाती है।
आर्थिक महत्व
भारत के कुछ हिस्सों में तो नथ के आकार से उस औरत के घर की आर्थिक संपन्नता और परिवार के आर्थिक स्तर का आकलन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जिस घर का आर्थिक स्तर बढ़ता है, उस घर की महिलाओं की नथ का साइज भी बढ़ जाता है।