मां अपने दो साल के बच्चें को हमेशा चलाने की कोशिश करती हैं, क्योंकि ज्यादातर बच्चे इस उम्र में चलना शुरू कर देते हैं, लेकिन बच्चा नहीं चलना सिखता तो माता-पिता यह कर इंकार कर देते हैं कि बड़ा होते-होते खुद सिख जाएगा, लेकिन यह बात आराम से बैठने वाली नहीं है, क्योंकि नॉरमली बच्चें 2साल से पहले ही चलना सीख जाते हैं।
हड्डियां मजबूत बनती हैं
हाल ही में की गई स्टडी से यह बात सामने आई है कि जो बच्चे कम उम्र में चलना सीख लेते हैं, उनकी हड्डियां ज्यादा मजबूत होती हैं। 3 साल पूरा होने से पहले अगर बच्चे चलना, कूदना और दौड़ना सीख लेते हैं, तो उनकी हड्डियां बड़ा होते-होते अधिक मजबूत बनते जाती हैं।
छोटी उम्र में चलने और दौड़ने से बच्चों की हड्डियों में दबाव पड़ता हैं, जो को मजबूत बनाता है। जब हड्डियों पर दबाव पड़ता है, तो हड्डियां अधिक चौड़ी और मजबूत बन जाती हैं, लेकिन हड्डियों पर पड़ने वाला दबाव हड्डियों के अनुकूल होना चाहिए। नहीं तो इससे हड्डियों को नुकसान पहुंच सकता हैं।
शोध के अनुसार, जो बच्चे 18 महीने की उम्र में ही चलना, दौड़ना और उछलना शुरू कर देते हैं, उनके बड़े होने पर उनकी हड्डियां ज्यादा मजबूत होती जाती हैं। शोध में कहा गया है कि इन सारी एक्टिविटी का असर बच्चों की हड्डियों पर पड़ता है, जिससे वे देरी से चलने वाले बच्चों की तुलना में ज्यादा लंबे-चौड़े और मजबूत होते हैं।
स्टिपोरोसिस के लक्षण
इसके अलावा जो बच्चे अधिक समय की उम्र में चलना सिखते उनको सेहत से जुड़ी समस्याएं जैसे शरीर कमजोर होना, छोटा कद ,हड्डियों में दर्द और चलने-दौड़ने में परेशानी हो सकती हैं। एक शोध के निष्कर्ष से पता चला है कि बचपन में हमारे विकास का किस प्रकार बाद में असर पड़ता है। उनका कहना है ज्यादा चलने-फिरने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं, जिससे कारण जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हड्डियों की मजबूती भी बढ़ती जाती है।
ऑस्टिपोरोसिस
इस बात से पता लगता है कि ऐसे बच्चों के बड़े होने पर उन्हें आॅस्टिपोरोसिस या हड्डियों में फ्रैक्चर होने की संभावना नहीं होती है और उनकी हड्डियां लंबे समय तक मजबूत बनी रहती हैं, इसलिए बच्चे के पैदा होने पर समय-समय पर उसकी जांच कराते रहना बहुत जरूरी हैं।