24 Apr 2024, 23:07:23 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

एक जंगल में एक मोर रहता था। वहां एक नदी थी, जिसमें एक कछुआ रहता था। मोर को नाचता देखकर कछुआ बहुत प्रसन्न होता था। उसने मोर को अपना मित्र बना लिया। एक दिन उस वन में एक शिकारी आया। उसने जाल डालकर मोर को पकड़ लिया। मोर को फंसा देखकर कछुआ शिकारी के पास गया और उसने शिकारी से फरियाद की, 'तुम जो मूल्य लेना चाहो, ले लो, लेकिन मेरे मित्र को छोड़ दो।
 
'शिकारी सोचने के बाद बोला, 'अच्छा तुम मुझे इस नदी से एक रत्न निकाल कर ला दो। मैं इसे छोड़ दूंगा।' कछुए ने तुरंत नदी में डुबकी लगाई और कुछ देर बाद रत्न लेकर बाहर आ गया। शिकारी ने वादे के मुताबिक रत्न लिया और मोर को छोड़ दिया। इसके बाद कछुए ने मोर को वन छोड़ने की सलाह दी और मोर ने वह वन छोड़ दिया।
 
शिकारी ने घर आकर सोचा, 'यह तो मैंने गलती कर दी। यदि मैं उस कछुए से दो रत्न भी मांग लेता, तो वह दो भी लाकर देता।' दूसरे दिन वह कछुए के पास गया और उससे कहने लगा, 'तुम मुझे एक नहीं दो रत्न दो, नहीं तो मैं तुम्हारे मित्र को फिर पकड़ लूंगा। कछुए ने कहा, 'अच्छा भाई! तुम मुझे पहला रत्न दे दो ताकि मैं उसके साथ का दूसरा रत्न लाकर तुम्हें दे सकूं।'
 
शिकारी ने उत्साह से वह पहला रत्न कछुए को दे दिया। कछुए ने रत्न लेकर कहा, 'लेना एक, न देना दो' अब एक लेकर दो नहीं दिए जाते। इतना कहकर उसने नदी में डुबकी लगा दी। शिकारी ने गुस्से में आकर मोर को ढूंढा, लेकिन मोर वहां होता तो उसे मिलता न! शिकारी पछताता और हाथ मलता हुआ घर लौट आया। ज्यादा लालच करने का परिणाम यही होता है।
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