24 Apr 2024, 02:20:49 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

बच्चों रुपए के सफर पर डालें एक नजर, जो प्राचीन टकसालों से होता हुआ हमारी जेब में आ पहुंचा है। इसका सफर शुरू हुआ छठी सदी ईसा पूर्व से। 2,600 साल पहले प्राचीन भारत में सबसे पहले जारी किए गए। रूपए को यह नाम कैसे  मिला यह कहानी बहुत ही दिलचस्प है। उसे जह नाम संस्कृत से मिला है। 
 
 
रूप का मतलब है आकार और साथ ही छाप।  रौप्य का मतलब चांदी से है। संस्कृत में रूप्यकम का अर्थ है चांदी का सिक्का। इसका उल्लेख प्राचीन भारतीय पुस्तकों में भी मिलता है। रुपया शब्द सन् 1540 - 1545 के बीच शेरशाह सूरी के द्वारा जारी किए गए चांदी के सिक्कों के लिए उपयोग में लाया गया। मूल रुपया चांदी का सिक्का होता था, जिसका वजन 11.34 ग्राम था। यह सिक्का ब्रिटिश भारत के शासन काल में भी उपयोग में लाया जाता रहा। 
 
 
कागज के नोटों की शुरूआत- रुपयों के कागज के नोटों को सबसे पहले जारी करने वालों में से थे 'बैंक आॅफ हिंदुस्तान' (1770-1832), 'द जनरल बैंक आॅफ बंगाल एंड बिहार' (1773-75, वारेन हॉस्टिग्स द्वारा स्थापित) और 'द बंगाल बैंक' (1784-91)। शुरूआत में बैंक आॅफ बंगाल द्वारा जारी किए गए कागज के नोटों पे केवल एक तरफ ही छपा होता था। इसमें सोने की एक मोहर बनी थीे। बाद के नोट में एक बेलबूटा बना था जो एक महिला आकृति, व्यापार का मानवीकरण दर्शाता था। यह नोट दोनों ओर छपे होते थे, तीन लिपिओं उर्दू, बंगाली और देवनागरी में यह छपे होते थे। - स्रोत आरबीआई
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »