रोहन के पास एक पैर से चलाने वाला स्कूटर था। वह जब उसे चलाने बाहर निकलता, तो उसकी दादी पीछे दौड़तीं। घर ढलान पर था। आसपास बहुत से चिनार के पेड़ थे। जंगली घास भी थी। दादी को लगता कि कहीं बच्चा साइकिल को न संभाल सके और नीचे लुढ़क जाए, तब क्या होगा, कितनी चोट लगेगी। आसपास वाले दादी से मजाक में कहते, ऐसा करो, तुम भी एक स्कूटर ले लो। बच्चे के साथ चलाओ, कुछ वर्जिश भी हो जाएगी और यह डर भी जाता रहेगा कि रोहन कहीं गिर न जाए। दादी सुनतीं और चुप रह जातीं।
उन्हें लगता कि कहीं बच्चे की ज्यादा चिंता करके वह गलती तो नहीं कर रही हैं, क्योंकि सब कहते थे कि बच्चा गिरेगा नहीं, गलती नहीं करेगा तो सीखेगा कैसे? लेकिन गलती करने के चक्कर में कहीं इतनी चोट लग गई कि संभाले नहीं संभली, तब फिर सब उन्हें ही सुनाएंगे कि वह तो बच्चा है। तुम तो बड़ी थीं, रोका क्यों नहीं? खान-पान में भी वह चाहती थीं कि वह दाल खाए, सब्जी खाए, दूध पिए, मगर वह हमेशा चॉकलेट और बर्गर मांगता। दादी सोच में पड़ जातीं कि क्या वह सचमुच पुराने जमाने की हो गई हैं।
क्या उन्हें बच्चों के खान-पान और उनके स्वास्थ्य के बारे में कुछ नहीं मालूम। आखिरकार उन्हें लगा कि जब उनकी बात किसी को अच्छी ही नहीं लगती है, तो वह क्यों बोलें? बस अब वह चुप रहने लगीं। वह अपने बच्चों के बचपन को याद करती थीं। एक दिन सवेरे सब लोग आॅफिस जाने की तैयारी कर रहे थे। दादी सबके लिए खाना बना चुकी थीं। सलाद काट रही थीं कि इतने में फोन बजा। वह फोन उठाने गईं। बातचीत करके लौटीं तो देखती क्या हैं कि जिस चाकू से सलाद काट रही थीं, रोहन उसे ही लेकर दौड़ा जा रहा है। दादी को डर लगा।
वह उसके पीछे दौड़ीं और फिसलने से बचीं। उन्होंने रोहन के पापा को पुकारा, अरे देखो तो इसके हाथ से चाकू ले लो। कहीं हाथ में न लग जाए। बहुत ही शैतान होता जा रहा है। रोहन के पापा ने दौड़कर उसे पकड़ा और दोनों हाथों को पकड़ लिया। पापा चाकू ले लेंगे यह सोचकर उसने चाकू को तेजी से मुट्ठी में बंद कर लिया और दादी के मुंह से निकला, हे भगवान ये क्या हुआ? रोहन के पापा की नजर भी पड़ी। उसकी हथेली से तेज खून बह रहा था। उसके पापा ने घबराकर कहा, मां देखो यह क्या हो गया? अभी तो डॉंक्टर भी नहीं आया होगा। उसकी मम्मी भी घबरा गईं।
दादी वापस रसोई में गईं और हल्दी लाकर रोहन के घाव पर बुरक दी। थोड़ी ही देर में खून बहना बंद हो गया। फिर दादी ने पानी में पट्टी को डुबोया और उसके हाथ पर बांध दिया। पानी की पट्टी से क्या होगा मां? उसके पापा ने पूछा तो दादी बोलीं, इससे घाव जल्दी भर जाएगा। लेकिन खून इतनी जल्दी कैसे रुक गया? हल्दी से। हल्दी एंटी सेप्टिक भी है। वाह भई, मां आप तो पूरी डॉंक्टर निकलीं। दादी मुस्कराईं।
उन्हें अपने बेटे का बचपन याद आ गया। कैसे खेलते वक्त जब उसे चोट लग जाती थी, तो वह इसी तरह के उपाय किया करती थीं। फिर भी उसके माता-पिता को लगा कि उसे डॉंक्टर के पास ले जाना जरूरी है। डॉक्टर ने उसे देखा। दवा लगाई। इंजेक्शन दिया, फिर कहा- आपकी मम्मी ने बिल्कुल ठीक किया हल्दी लगाकर और पट्टी बांधकर, वरना बच्चे का काफी खून बह जाता। घाव गहरा है। फिर मुस्कराकर बोले इन बुजुर्गों के सामने तो कई बार डॉक्टर भी हार मान जाते हैं।
डॉक्टर की बात सुनकर रोहन के मम्मी-पापा को भी लगा कि उन्हें भी अपने माता-पिता के ज्ञान का लाभ उठाना चाहिए। जब रोहन लौटा, तो उसके हाथ में बड़ा सा गुब्बारा था। वह दौड़ता हुआ दादी के पास गया और बोला, देखो दादी गुब्बारा। दादी बोलीं, ठीक है, खूब खेलो। वह फिर से खेल में मशगूल हो गया था।