25 Apr 2024, 11:53:43 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

पुराने समय में एक धोबी था, जिसके पास एक गधा था । दिन में गधा कपड़ों के गट्ठर ले जाने का काम करता था, वहीं रात में धोबी उसे आसपास के मैदान में हरी घास खाने के लिए  खुला छोड़ देता था। धोबी से मिली इस छूट का गधा अपनी तरह से इस्तेमाल करता था। वह मैदान में घास खाने के बजाय आसपास के खेतों में घुस जाता और सुबह होने से पहले वह धोबी के घर पहुंच जाता। उसे इस बात की कतई परवाह न होती कि असमय कोई भी काम करने का नतीजा बुरा हो सकता है।
 
एक रात खाने की तलाश में गधा खेतों में निकला ही था कि उसकी मुलाकात सियार से हो गई। दोनों को एक दूसरे का साथ भा गया और उनमें चाचा-भतीजे वाली दोस्ती हो गई। इसके बाद वे हर रात मिलने लगे। लेकिन दोनों में फर्क यह था कि सियार गधे की अपेक्षा दूर की सोचता था। किसी भी मुश्किल में खुद को फंसते देख वह खुद को उससे बाहर निकालने के उपाय सोचने लगता था। अब गधा और सियार दोनों रात के अपने मिशन पर साथ निकलते।
 
अब वह खेतों के किनारे लगी बाड़ आसानी से तोड़ देता। खेत में घुसकर एक तरफ गधा सब्जियां खाता, तो दूसरी तरफ सियार पास के बाड़े में बंद मुर्गो को अपना शिकार बनाता। चाचा-भतीजे दोनों अपने भोजन का स्वाद साथ-साथ चखते। सुबह होने से पहले दोनों ही अपने-अपने घर लौट जाते। इसी तरह एक रात खेत में गधा और सियार अपनी भूख मिटा रहे थे। उसी समय गधे ने सियार से कहा, अरे भतीजे, आज पूर्णिमा है। मुझे गाना गाने का मन कर रहा है। क्या मैं गाना सुनाऊं? गधे की इस मूर्खतापूर्ण बात पर सियार को हैरानी हुई।
 
उसने गधे को चेताया, अरे चाचा, हम यहां चोरी करने आए हैं।  वैसे तुम्हारी आवाज इतनी भी सुरीली नहीं है, जितनी कि तुम सोच रहे हो। तुम्हारे रेंकने की आवाज सुनकर किसान जाग जाएगा और हम दोनों को बहुत मारेगा। मैं तुमसे विनती करता हूं कि गाना गाने का खयाल अपने दिल से बिल्कुल निकाल दो। सियार की इन बातों से गधा भड़क गया। उसे लगा कि सियार ने उसकी शान में गुस्ताखी कर दी है। वह तुनक कर सियार से बोला, तुम ऐसा इसलिए कह रहे हो, क्योंकि तुम जंगली हो और संगीत की अहमियत नहीं समझते।
 
जब सियार ने देखा कि गधे ने गाना गाने के लिए जिद पकड़ ली है, तो उसने खतरा भांपकर किसी सुरक्षित स्थान पर छिप जाने में ही अपनी भलाई समझी। उसने  कहा, चाचा, अगर तुमने गाने का मन बना ही लिया है, तो मैं बाहर जाकर इस खेत के मालिक पर नजर रखूंगा। इतना कहते ही सियार खेत से बाहर भागा और झाड़ी में दुबक गया। इसके बाद गधे ने बहुत ऊंचे स्वर में रेंकना शुरू कर दिया।
 
रेंकने की आवाज सुनते ही किसान की नींद टूट गई और वह गुस्से में लाठी उठाए खेत की तरफ दौड़ता हुआ आया और गधे की इतनी पिटाई की कि वह जमीन पर गिर गया। इसके बाद उसने लकड़ी का एक बड़ा टुकड़ा गधे के गले से बांधकर उसे छोड़ दिया। किसान की मार खाकर गधा जब वापस लौटा, तो सियार उसकी बदहाली देखकर हंसने लगा। उसने गधे की खिंचाई करते हुए पूछा, चाचा, तुम्हारा राग तो बहुत सुरीला था। लगता है कि गले में यह माला तुम्हें इसके इनाम के तौर पर मिली है। इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हर काम को करने का एक उचित समय होता है। बेवक्त किसी भी काम को करने का नतीजा बुरा होता है। 
(पंचतंत्र की कहानियों से साभार)
 
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