19 Apr 2024, 08:52:04 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

एक लकड़हारा अपनी पत्नी और नेत्रहीन मां के साथ एक जंगल के पास झोपड़ी बनाकर रहता था। उसके बच्चें नहीं थे वह काफी गरीब भी था। हालांकि वो कभी भी किसी भी चीज के लिए भगवान से शिकायत नहीं करता था। वह लकड़ी काटकर और उन्हें बाजार में बेचकर अपना गुजारा किया करता था। रोज की तरह एक दिन वह लकड़ी काटकर बाजार की ओर जा रहा था। उसके पास काफी अधिक लकड़ियां थीं, इसलिए वह धीरे-धीरे चल रहा था। एक झाड़ी के पास से गुजरते हुए उसने घायल चिड़िया को देखा। उसको देखकर वह काफी दुखी हुआ और उसे हाथ में उठाकर देखने लगा कि वह जीवित है या नहीं। उसे यह देखकर काफी खुशी हुई कि चिड़िया की सांस तो अभी भी चल रही थी।

 

लकड़हारे ने सोचा कि अगर उसने घायल चिड़िया को वहीं छोड़ दिया, तो उसे कोई दूसरा जानवर खा जाएगा। इसलिए उसने उस चिड़िया को घर ले जाने का फैसला किया। घर ले जाकर उसने उस चिड़िया के बारे में मां और पत्नी को बताया और उन्होंने उसके लिए घर का एक कोना चुना, जहां वह चिड़िया आराम से सो गई। उस पूरी रात वह लकड़हारा बार-बार जागकर चिड़िया की हालत देखता रहा । सुबह होने से पहले ही उसने चिड़िया की आवाज सुनी और खुश होकर उसने उस जगह को देखा, जहां उसे रखा था।

 

लेकिन उस स्थान पर चिड़िया तो थी ही नहीं। उसने जल्दी से पूरी झोंपड़ी को छान मारा, पर चिड़िया तो कहीं भी नहीं दिख रही थी। वह घर से बाहर आ गया। अचानक उसने देखा कि उसके पैरों के पास चिड़िया है और अचानक उसका आकार काफी तेजी से बढ़ रहा है। यह देखकर लकड़हारा डर गया, लेकिन तभी वह चिड़िया एक परी बन गई। यह देखकर हैरान लकड़हारा कुछ बोल पाता, उससे पहले ही परी बोली, दोस्त, मेरा जीवन बचाने के लिए धन्यवाद। मुझे पता है कि तुम्हें अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो पा रहा है। पर यह सच है कि मैं एक परी हूं और इस लोक में एक चिड़िया के रूप में घूमती रहती हूं।

 

कल भी जब मैं उड़ रही थी तो अचानक एक बाज ने मुझ पर हमला कर दिया और मैं घायल हो गई और तुमने मुझे आकर बचाया। इसलिए अब मैं तुम्हें कुछ  देना चाहती हूं। बताओ, तुम्हारी क्या इच्छा है? यह सुनकर लकड़हारा कुछ देर सोचता रहा और परी से बोला, मुझे एक रात का समय सोचने के लिए दिया जाए। परी इस बात पर सहमत हो गई और लकड़हारा घर लौट आया। लौटकर उसने पत्नी और मां को सारी बात कह सुनाई। यह सुनकर उसकी मां बोली, बेटा, परी से कहो कि मेरा अंधापन दूर कर दे। पत्नी बोली, आप हमारे लिए बच्चों का वरदान मांग लीजिए। जबकि लकड़हारा यह चाहता था कि वो परी से मांग करके अपनी गरीबी को दूर कर दे।

 

अब तो एक के बजाय तीन इच्छाएं थीं, लेकिन परी तो इनमें से एक ही पूरी कर सकती थी। पूरी रात लकड़हारा सोचता रहा कि आखिर क्या करे। सुबह उसे एक विचार सूझा। वह  जंगल में गया और उसे वहां परी दिखी।  परी ने उससे उसकी इच्छा के बारे में पूछा तो उसने कहा, मेरी मां की इच्छा है कि वो अपने पोते-पोतियों को संपन्नता में खेलते हुए देखे। परी लकड़हारे की चतुराई देखकर काफी खुश हुई और उसने उसकी इच्छा को पूरा कर दिया। लकड़हारा सफल व्यवसायी बन गया। उसकी मां अपने पोते-पोतियों को खेलते देखकर खुशी से फूली न समाती थी। तो इस तरह अपनी सोच के बल पर लकड़हारा अपनी तीनों इच्छाओं को पूरा कराने में कामयाब रहा।

 
 
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