तुमने फव्वारा तो देखा ही होगा। पानी और रंग-बिरंगी लाइट्स इसकी खूबसूरती को बढ़ाने का काम करते हैं। आमतौर पर फव्वारे में मोटर लगी होती है, जो पानी ऊपर की तरफ फेंकती है, जिससे वो तुम्हें तरह-तरह की कलाकृतियां करता भी नजर आता है। तुम्हें जानकर हैरानी होगी कि रोम में जो पब्लिक फाउंटेन लगे हैं, वे बिना किसी मोटर के ही काम करते हैं। पानी का ऊपर से नीचे आना तो समझ आता है पर नीचे से ऊपर जाना... वह भी बिना मोटर के, हैरानी की बात है। अब सोच रहे होगे फिर उसमें पानी ऊपर की ओर कैसे आता होगा। सोचने वाली बात भी है।
प्राचीन रोम पानी को पाइप से डिस्ट्रीब्यूट करता है। इनसाइक्लोपीडिया एनकार्टा की मानें तो यहां एक दिन में 38 मिलियन गैलन पानी खर्च होता है। शहर में पानी ग्रैविटी से बहता है, क्योंकि यह आस-पास के पर्वतों से आता है। इसे बड़ी टंकियों में जमा किया जाता है, जो आज के वाटर टावर के कॉन्सेप्ट जैसा है। पानी टंकियों से निकल कर पाइप से घरों में पहुंचता है। यही पानी फव्वारों के लिए उपयोग किया जाता है। लोग फाउंटेन से पानी लेने भी आते हैं। टंकी को इतनी ऊंचाई दी जाती है, जिससे फाउंटेन को पानी स्प्रे करने के लिए वाटर प्रेशर मिले।