नगर में एक हवाई जहाज कंपनी आई थी जो हवाई करतब दिखाने के बाद हवाई जहाज की सैर कराती थी। सेठ दुलीचंद भी अपनी पत्नी के साथ सैर करने पहुंचे लेकिन पसास रूपए का टिकट सुनेते ही उनका मुंह फट गया।
हवाई चालक बोला में आपके सामने एक प्रस्ताव रखता हूं। आप और आपकी पत्नी हवाई जहाज में बैठकर आधा घंटा सैर कीजिए। यदी इस बिच आपके मुंह से आवाज निकल गई तो मैं आपसे पचास रू पए ले लूंगा, नहीं तो सैर मुफ्त।
दोनों बैठ गए और चालक ने अपनी सारी कारीगरी दिखाना शुरू की। उसने चक्कर बनाया, कभी उलटा कर दिया, कभी डाईव मारा तो कभी टेलस्पिन कराया। आखिर उसने हवाई जहाज निचे उतारा।
मैं मान गया आपको सेठ जी। चालक बोला, इस तरह की सैर में तो हिटलर की भी चीं बोल जाती।
अपने माथे का पसीना पोंछते हुए सेठ दुलिचंद बोले क्या आप जान सकते है की राह में सेठानी के बाहर निकल पड़ने पर मैंने अपनी चिख कैसे रोकी थी।