जबलपुर। मप्र के इतिहास में पहली बार अपने बार-बार तबादलों के खिलाफ हाईकोर्ट जबलपुर के बाहर धरना देने वाले एडीजे आरके श्रीवास को मंगलवार को हाईकोर्ट ने निलंबित कर दिया। उनके कृत्य को काफी गम्भीर माना गया। गौरतलब है कि श्रीवास बार-बार और अकारण होने वाले तबादलों से इतना आजिज आ गए कि बीते पखवाडे वे जबलपुर हाईकोर्ट के सामने दरी बिठाकर धरने पर बैठ गए थे। वकीलों ने भी उनका समर्थन किया था। दो दिन बाद उन्होंने धरना समाप्त कर दिया था। आज हाईकोर्ट ने उन्हें निलंबित कर दिया। गुरुवार को धरना समाप्त करने के बाद उन्होंने नीमच जाकर बतौर एडीजे का पदभार मंगलवार दोपहर एक बजे ग्रहण किया। पदभार ग्रहण करने के चार घंटे बाद उन्हें निलंबन आदेश की प्रति थमा दी गई। निलंबन अवधि के दौरान उनका मुख्यालय नीमच रहेगा।
यह दमनात्मक कार्रवाई
निलंबित किए गए एडीजे आर के श्रीवास ने अंग्रेजों के रोलेक्टस एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि अपनी गलती छुपाने के लिए निलंबन आदेश जारी किए गए हैं। यह एक दमनात्मक कार्रवाई है, जिसका में अपने स्तर पर विरोध करूंगा। उन्होंने तहसीलदार अमृता सिंह का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके स्थानांतरण के मामले में पीएमओ ने संज्ञान लेकर जांच के निर्देश दिए हैं। मैंने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए नौ बिंदुओं पर जांच की मांग की थी। हाईकोर्ट के प्रिंसीपल रजिस्टार एसके सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट की प्रशासनिक कमेटी ने उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई का निर्णय लिया है। गोपनीयता के मद्देनजर उन्होंने निलंबन के कारणों का खुलासा करने से इनकार कर दिया।