20 Apr 2024, 14:14:38 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

जबलपुर। शहर के बाजारों में धीरे-धीरे रौनक लौट रही है, दो सप्ताह से मंदी झेल रहे व्यापारियों में थोड़ा तनाव जैसे-तैसे कम हुआ है, लेकिन दो हजार रुपए के नए नोट पर दो-चार सौ रुपए की खरीदी पर यह नोट मुसीबत बन रहा है। फुटकर के बाजारों में सौ-दो सौ रुपए की खरीदी करने वाले ग्राहकों को सामान नहीं मिल रहा है, व्यापारी दो हजार रुपए के बदले में फुटकर सामान देने से कतरा रहे हैं, ऐसे में जहां ग्राहकों को परेशानी हो रही है, वहीं व्यापारियों में भी पशोपेश की स्थिति बनी हुई है।

बैंकों में भी खजाना खाली
नोटबंदी के बाद लगातार पंद्रह दिनों से रुपयों के वितरण में जुटे बैंकों का खजाना भी खाली होने लगा है। आलम यह है कि नोट एक्सचेंज करने वालों ने रुपए निकाले या तो  काउंटर पर बैंक के खाताधारकों ने रुपए निकाल लिए हैं। ऐसे में अब बैंकों के पास रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया की ओर से रुपयों का आवंटन मांग के अनुरूप नहीं हो पाने से नई समस्या सामने आ रही है। आलम यह है कि लोग 24 हजार रुपए विड्रॉल फॉर्म में भर रहे हैं, लेकिन उन्हें दस हजार रुपए तक ही राशि थमाई जा रही है।

गांवों में सबसे अधिक परेशानी
शहर में तो जैसे-तैसे लोग नोटों का इंतजाम कर भी पा रहे हैं, लेकिन सबसे अधिक गांव, कस्बों में हो रही है, ऐसे गांव जहां एक बैंक है और एटीएम भी एक ही है, वहां करीब-करीब लेन-देन ठप ही है। आलम यह है कि लोग उधार लेकर या ब्याज पर रुपए लेकर अपना काम चला रहे हैं।
 
एटीएम से निराश लौट रहे लोग
शहर में बैंकों के बाद एटीएम से रुपए निकालने की आस लेकर पहुंचने वालों को निराशा ही हाथ लग रही है। दरअसल बैंक प्रबंधकों ने यह कहा था कि पांच सौ, हजार के नोट अब एटीएम से मिलना शुरू हो जाएंगे, लेकिन इस सप्ताह के तीसरे दिन बुधवार को भी आधे से अधिक एटीएम के बाहर लंबी कतार में लगे लोगों को बड़े नोटों के नाम पर सिर्फ दो हजार के नोट ही हासिल हो सके हैं, वहीं बैंक अधिकारियों का कहना है कि पाांच सौ रुपए के नोट मांग के अनुरूप मिल ही नहीं रहे हैं, ऐसे में परेशानी तो होगी।

बैंकों की अपनी व्यथा
नोटबंदी के फैसले के बाद से पंद्रह दिनों से लोगों को रुपए देते-देते बैंकों का खजाना खाली होने लगा है। आलम यह है कि 24 हजार रुपए एक मुश्त का विड्रॉल भरने वाले लोगों को आधी रकम ही मिल पा रही है। इस पर भारतीय स्टेट बैंक के चैनल प्रबंधक शशीन्द्र सिंह का कहना है कि आम दिनों में 30 करोड़ रुपए एटीएम से ट्रान्जेक्शन होता था, जो अब सिमटकर आधा हो गया है, वहीं बैंकों से 10 करोड़ रुपए देने वाली हमारी ब्रांचों से अब आधा रुपया ही दे पा रहे हैं, दरअसल हमारी मांग के अनुसार रुपयों का आवंटन नहीं होने से यह समस्या आ रही है।
 
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