खंडवा। दो दिव्यांग बालिकाओं से दुष्कर्म करने वाले आश्रम संचालक को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश पॉस्को एक्ट तपेश कुमार दुबे ने उस पर 15 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। मामले की पैरवी लोक अभियोजन अधिकारी चंद्रशेखर हुक्मलवार ने की है। दिव्यांग बालिकाओं से आश्रम में हुए दुष्कर्म के मामले को लेकर सोमवार को सभी की नजर फैसले पर टिकी रही।
सुबह कोर्ट खुलने के बाद से ही पॉस्को एक्ट के मामले की सुनवाई को लेकर बनाई गई विशेष कोर्ट के सामने भीड़ रही। दोपहर को आश्रम संचालक पूनमचंद पिता मुन्नालाल मालवीय (67) निवासी मालवीया कॉलोनी को विशेष न्यायाधीश दुबे के यहां पेश किया। न्यायाधीश दुबे ने पूनमचंद को मरते दम तक कैद में रहने की सजा दी। पूनमचंद दो साल से अपने आश्रम में रह रही 13 व 14 वर्षीय दो बालिकाओं के साथ दुष्कर्म कर रहा था।
नौ माह में सुनाई सजा
जिला अभियोजन अधिकारी राजेश भदौरिया ने बताया कि मामले की सुनवाई त्वरित हो गई है। करीब 9 माह में ही पूनमचंद को सजा सुना दी गई। उसे सजा तक पहुंचाने में दिव्यांग बालिकाओं की गवाही और डीएनए रिपोर्ट मुख्य रही। रिपोर्ट में बालिकाओं के साथ दुष्कर्म किए जाने की बात साबित हुई। जिला पंचायत के पास आरोरी के द्वारा अवैध रूप से निशक्त आश्रम का संचालन किया जा रहा था। आदिवासी कार्यालय की जमीन पर ही यह आश्रम बना रखा था। उसने यहां अतिक्रमण कर लिया था। इसके बाद भी उस पर कार्रवाई नहीं की जा रही थी। आश्रम संचालन के नाम पर वह समाजसेवी संस्थान और विभागों से भी वसूली कर रहा था।