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धर्म के बिना 'वोट' मांग ही नहीं सकते हमारे नेता, कोई अदालत रोक भी नहीं सकती

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 17 2017 1:14PM | Updated Date: Jan 17 2017 1:50PM
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इंदौर। दुनिया भर में सरोद वादन से खास पहचान बनाने वाले अमजद अली ने बताया की बिना धर्म की आड़ में वोट की राजनीति संभव ही नहीं। धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगने के आदेश पर उस्ताद जी बोले, मैं अदालत का सम्मान करता हूं, पर कोई भी अदालत राजनीति से मजहब को अलग नहीं कर सकती। मजहब के बिना राजनेता कुछ कर ही नहीं सकते। उन्होंने कहा भारत के मुसलमानों को पाकिस्तानी कहना भी राजनीति ही है। अमजद अली सोमवार को इंदौर में ख्यात गायक कुमार गंधर्व की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। 

अमजद अली ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जारी आपसी कड़वाहट की वजह से पाकिस्तान के कलाकारों को भारत में कला के प्रदर्शन का विरोध करना सही नहीं है। बशर्तें पाकिस्तान भी हिन्दूस्तान के कलाकारों को वैसे ही अपनाएं जैसे पाकिस्तान के कलाकारों को हिन्दूस्तान में अपनाया जाता है। 
 
इस दौरान उन्होंने कहा कि हिन्दूस्तान में धर्म को राजनीति को सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद भी अलग नहीं किया जा सकता। अमजद अली खां ने देश और शास्त्रीय संगीत की मौजूद स्थिति पर भी बेबाकी से अपनी बात रखी। उन्होंने देश में शास्त्रीय संगीत के प्रति आदर और प्रेम बढ़ने की बात तो कही।
 
लेकिन साथ ही फ़िल्मी गीतों के संगीत और उनके प्रस्तुति करन पर चिंता भी जताई। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि फिल्‍मी गीतों का मकसद लोगो का मनोरंजन करना है, जबकि शास्त्रीय संगीत एक मनोरंजन का जरिया नहीं बल्कि ईश्वर की साधना का तरीका है। 
उस्ताद ने भारत में पाक के कलाकारों के बहिष्कार करने के मुद्दे पर अपनी स्पष्ट राय देते हुए कहा कि कलाकार का कोई मजहब नहीं होता। कलाकार का सम्बन्ध केवल कला से होता है। जिसके प्रदर्शन के लिए वह कही भी आ जा सकता है।
 
पाकिस्तान के कलाकार भी यहां आ सकते है। पर बशर्ते पाकिस्तान भी भारतीय कलाकारों को उतना ही सम्मान और काम दे, जो पाकिस्तानी कलाकारों को हिन्दुस्तान में मिलता है। भारत में रहने वाले मुस्लिमो पर पाकिस्तानी कहे जाने के आरोप को उन्होंने सियासी पार्टियों द्वारा उड़ाई गई गलत फहमी बताया। उन्होंने कहा हिंदुस्तान में रहने वाला हर बाशिंदा हिंदुस्तानी है।
 
परंतु राजनीतिक पार्टियों ने अपने अपने फायदे के लिए राजनीति को धर्म से जोड़ दिया है। जो धर्म को राजनीति से जोड़ने में कामयाब हो जाता है, वह जीत जाता है जो नहीं जोड़ पता वह हार जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने जरूर धर्म को राजनीति से जोड़कर वोट मांगने को गलत ठहराया है, मैं इस फैसले का सम्मान करता हूं। परंतु भारत जैसे देश में इस फैसले का पालन होना बहुत मुश्किल काम है। 
 
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