लखनऊ। नियमित जांच और लक्षणों की पहचान की बदौलत साइलेंट किलर के रूप में देश में तेजी से पांव पसार रहे गुर्दा संबंधी रोगों पर काबू पाया जा सकता है। चिकित्सकों के अनुसार व्यायाम, खानपान और स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही किडनी रोग के तेजी से पनपने के मुख्य कारकों में है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार गुर्दा से संबधित रोगों के मामले में भारत 21वीं पायदान पर है। देश में हर साल डेढ़ लाख से अधिक लोग किडनी की बीमारियों की वजह से अपनी जान गंवा बैठते हैं। इसका खतरनाक पहलू यह है कि ज्यादातर मामलों में बीमारी का पता एडवांस स्टेज में चलता है।
कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज के नेफ्रोलाजी विभाग में एसोसियेट प्रोफेसर समीर गोविल ने कहा कि स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह रवैया गुर्दा से संबधित रोगियों की तादाद में वृद्धि कर रहा है। ज्यादातर लोग सूजन, पेट दर्द, बुखार और थकान जैसे लक्षणों का इलाज डॉक्टर की बजाय मेडिकल स्टोर में ढूंढते हैं और जब उन्हे आराम नहीं होता तो वह डॉक्टर या अस्पताल का रूख करते हैं। स्वास्थ्य के प्रति लोगों का यह लचर रवैया बड़ी बीमारी की वजह बनता है।
वास्तव में 40 साल की उम्र पूरी कर चुके लोगों को नियमित अंतराल में ब्लड प्रेशर, लीवर, किडनी, ब्लड शुगर और लिपिड प्रोफाइल समेत अन्य स्वास्थ्य संबंधी जांचे कराते रहना चाहिये। बीमारी की आगोश से बचने का इससे मुफीद तरीका और कोई नही हो सकता। उक्त रक्तचाप और मधुमेह से ग्रसित लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। किडनी से संबधित बीमारियों की मुख्य वजह मधुमेह और उक्त रक्तचाप है। ऐसे मरीजों को रक्तचाप हर रोज और मधुमेह की जांच हर तीन महीने में कराती रहना चाहिये।