इलाहाबाद। त्योहारों के मौके पर अमूबन खोया की मांग काफी बढ़ जाती है। ऐसे में होली का त्योहार अब नजदीक है और मिठाई के बाजारों में खोया स्वादिष्ट की मांग बढ़ गई है, लेकिन क्या ये खोया आपके स्वास्थ्य के लिए ठीक है? ये सवाल इसलिए है क्योंकि त्योहार पर खोया की आपूर्ति करने के लिए मिलावटखोर आपकी सेहत से खेलने से भी नहीं हिचकते। जी हां, दरअसल इन दिनों खोया की मांग को देखते हुए फार्मोलिन रसायन युक्त दूध से खोया बनाया जा रहा है, जो गुझिया समेत अन्य मिठाईयों के स्वाद को घातक बना सकता है।
फार्मोलिन एक ऐसा रसायन है जो किसी भी वस्तु को अपने इस्तेमाल से कई दिनों तक सुरक्षा प्रदान करता है। इसकी चंद बूंदे लगभग 30 लीटर दूध को कई दिनों तक सुरक्षित रख सकती हैं। होली के पर्व के अवसर पर बाजार में इसकी आपूर्ति से कहीं अधिक खपत है। बड़ी मात्रा में सिंथेटिक दूध बाजार में पहुंचता है। इसको तैयार करने और कई दिनों तक दूध को सुरक्षित रखने और इसे सफेद बनाने के लिए डिटरजेंट, हाईड्रोजन-पर-ऑक्साइड, फार्मोलिन, डिटर्जेंट पावडर, सोडा, यूरिया आदि का प्रयोग किया जाता है।
चिकित्सकों का कहना है कि शवों को सुरक्षित रखने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। ऑपरेशन कक्ष को संक्रमण रहित करने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है। इसका सीधा असर यकृत, गुर्दे और तंत्रिकातंत्र पर पड़ता है। किन्ही परिस्थितयों में यह हृदय को भी प्रभावित करता है। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलायें यदि तीन माह तक फार्मोलिनयुक्त दूध अथवा दूध से बनाये पदार्थों का सेवन करती हैं तो गर्भ में पल रहे शिशु को बीमारियों की आशंका से नकारा नहीं जा सकता। सिंथेटिक दूध बनाने में घातक केमिकल और अखाद्य सामग्री इस्तेमाल की जाती है। पेट जनित बीमारियों में किडनी, लीवर की समस्या तो आम है ही, सांस रोगी-स्किल एलर्जी का खतरा भी रहता है।