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Health

बैक्टीरिया-जनित बीमारियों से लड़ने में मददगार हैं यह पौधे

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 7 2017 4:58PM | Updated Date: Sep 7 2017 4:58PM
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हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों को औषधीय पौधों से जुड़े एक शोध में बड़ी सफलता मिली है। इंडिया साइंस वायर के मुताबिक इस शोध से पता लगा है कि सतुवा, लेमन-ग्रास, चिरायता और दारु-हरिद्रा जैसे औषधीय पौधे बैक्टीरिया-जनित बीमारियों से लड़ने में मददगार हो सकते हैं। यह शोध उत्तराखंड स्थित हर्बल रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट के शोधकतार्ओं द्वारा किया गया है। हाल में करंट साइंस शोध पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकतार्ओं के मुताबिक उन्होंने कई तरह के पौधों की जैव-प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाने के लिए इनके अर्क का परीक्षण साइट्रोबैक्टर फ्रींडी, एश्केरिशिया कोलाई, एंटरोकोकस फैकैलिस, सैल्मोनेला टाइफीम्यूरियम, स्टैफाइलोकोकस आॅरिस और प्रोटिस वल्गैरिस नामक बैक्टिरिया पर किया था। इनमें से सतुवा, लेमन-ग्रास, चिरायता और दारु-हरिद्रा में बैक्टीरिया-रोधी गुण पाए गए हैं।

चिरायता के अर्क को साइट्रोबैक्टर फ्रींडी, एश्केरिशिया कोलाई, एंटरोकोकस फैकैलिस बैक्टीरिया के प्रति प्रतिरोधी पाया गया है। दारु-हरिद्रा के अर्क में साइट्रोबैक्टर फ्रींडी, एंटरोकोकस फैकैलिस, स्टैफाइलोकोकस बैक्टीरिया के प्रति प्रतिरोधी गुण पाए गए हैं। जबकि लेमन-ग्रास तेल एश्केरिशिया कोलाई, एंटरोकोकस फैकैलिस और स्टैफाइलोकोकस आॅरिस बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारियों के उपचार में कारगर साबित हो सकता है।

इसी तरह एक प्रमुख औषधीय पौधे सतुवा के अर्क को भी स्टैफाइलोकोकस आॅरिस के उपचार मे असरदार पाया गया है। अध्ययनकर्तार्ओं के अनुसार पौधों में पाए जाने वाले कुछ खास सक्रिय तत्वों में बैक्टीरिया-रोधी गुण होते हैं जो सुरक्षित एवं सस्ता होने के साथ-साथ रासायनिक दवाओं के मुकाबले ज्यादा प्रभावी साबित हो सकते हैं। लेकिन अभी भी यह समझा नहीं जा सका है कि पौधों में मौजूद ये तत्व कौन-से हैं और बैक्टीरिया के खिलाफ कैसे काम करते हैं।

जड़ी-बूटियों से जुड़ी भारतीय वैज्ञानिकों की यह नई खोज कमजोर तबके के लिए किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि भारत समेत अन्य विकासशील देशों में 50 प्रतिशत से अधिक मौतों के लिए बैक्टीरिया-जनित बीमारियों को जिम्मेदार माना जाता है। इंडिया साइंस वायर के मुताबिक जिन बैक्टीरिया का इस शोध में परीक्षण किया गया है उनके कारण मूत्रमार्ग का संक्रमण, घाव में संक्रमण, हृदय वॉल्वों की सूजन, मुंहासे, फोड़े, निमोनिया, अग्नाश्य, यकृत एवं पित्ताशय का संक्रमण, मस्तिष्क शोथ और डायरिया जैसी बीमारियां होती हैं। 

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