शोधकर्ताओं ने ऐसा एक नया यंत्र विकसित किया है जो किसी व्यक्ति के पसीने का परीक्षण कर उसको मधुमेह होने की संभावना की जानकारी देगा। साथ ही यह मधुमेह के मरीजों के पसीने की जांच कर उनकी बीमारी पर भी नजर रखेगा। यह यंत्र पहनने लायक है। इसको विकसित करने वाले शोधकर्ताओं में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल है।
तीन यौगिक
शोधकर्ताओं ने कहा, यह यंत्र दरअसल एक बायोसेंसर है, जो मरीज के पसीने में मधुमेह से जुड़े तीन यौगिकों की पहचान करने में सक्षम है। ये यौगिक हैं, कोर्टिसोल, ग्लूकोज और इंटरलेउकिन-6। यह यंत्र पसीने में इन यौगिकों की सूक्ष्म से सूक्ष्म मात्रा की पहचान कर लेता है। ये यौगिक एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और अपनी अखंडता खोए बगैर पसीने में बने रहते हैं।
सूई के दर्द से निजात
शोधकर्ताओं ने कहा कि उनके द्वारा विकसित यह यंत्र मधुमेह के मरीजों को सूई के दर्द से निजात दिला सकता है। फिलहाल डायबिटीज के मरीजों को रक्त में शुगर की जांच के लिए उंगली में सुई चुभोकर रक्त निकालना पड़ता है, जो एक कष्टदायक प्रक्रिया है। टाइप2 मधुमेह बड़ी तादाद में लोगों को प्रभावित करता है। अगर इस बीमारी का बेहतर तरीके से प्रबंधन किया जाए और अनुशासित रहा जाए तो इससे होने वाले
नुकसान से बचा जा सकता है।
एक हफ्ते तक चलेगा
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पहला पहनने लायक यंत्र है जो मधुमेह के लक्षणों की पहचान कर सकता है। यह पसीने में मधुमेह से जुड़े यौगिकों की एक सप्ताह तक निगरानी कर सकता है। अभी मधुमेह की जांच के लिए जो मॉनिटर बाजार में उपलब्ध है उनका एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन नए यंत्र से एक सप्ताह तक निगरानी की जा सकेगी।
सटीक और सस्ता उपाय
शोधकर्ताओं ने बताया कि पसीने में मौजूद इन जैव संकेतकों की सूक्ष्म से सूक्ष्म मात्रा की माप भी की जा सकती है। अगर एक से तीन माइक्रोलीटर पसीना भी हो तो उसमें जैव संकेतक की माप की जा सकती है और यह भरोसेमंद है।