सॉफ्ट ड्रिंक्स हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गई हैं, दोस्तों की पार्टी हो या फिर छोटा सा गेट-टुगेदर सॉफ्ट ड्रिंक्स को उसमें जरूर शामिल किया जाता है। हमारी इन्हीं आदतों को देखते हुए बच्चे भी अब इसके एडिक्टेड होते जा रहे हैं। ये कोल्ड्रिंक्स उनके लिए ओबेसिटी से लेकर डेंटल प्रॉब्लम का कारण बनती जा रही हैं। इसे देखते हुए सरकार ने कंपनियों को हिदायत दी है कि वे अपनी बॉटल्स पर लिख दें कि ये बच्चों के लिए हानिकारक हैं।
बावजूद इसके लोग धड़ल्ले से इसे बेच व खरीद रहे हैं। पैरेंट्स में इसके खतरे को लेकर जागरूकता कम दिखाई दे रही है। वे बच्चों की जिद के आगे घुटने टेक देते हैं, लेकिन ये छोटी-सी डिमांड आने वाले समय में बच्चों पर कितनी भारी पड़ेगी इसका अंदाजा उन्हें नहीं है। सॉफ्ट ड्रिंक कंपनी को हिदायत देने के बाद उन्होंने बोतल पर इतने छोटे अक्षरों में इंस्ट्रक्शन अंकित किया है जो बहुत गौर से देखने पर ही दिखाई देता है। इसके चलते पैरेंट्स को पता ही नहीं है कि सरकार ने इसे बच्चों को पिलाने के लिए मना कर दिया है।
कभी टैग नहीं देखा
पलासिया निवासी गोविंद राठौर ने बताया मैंने तो कभी कोल्ड्रिंक पर ऐसा टैग देखा नहीं, इसलिए बच्चों की जिद पर उन्हें दिला देता हूं। वहीं एक शॉप पर बच्चे को कोक दिला रही सोनी अवस्थी ने कहा बच्चों को सॉफ्ट ड्रिंक्स की इतनी आदत हो गई है कि समझ नहीं आता इसे छुड़ाएं कैसे? वैशाली नगर निवासी वंदना कमलकर कहती हैं कि टॉकिज या ईटिंग प्लेस पर जब कॉम्बो मिलता है तो उसे लेने में अच्छा लगता है और बच्चे भी खुश हो जाते हैं। अगर पता होता कि ये इतना खतरनाक है तो कभी नहीं दिलाती। शॉप कीपर प्रकाश शामनानी ने कहा हमने भी सॉफ्ट ड्रिंक्स पर टैग नहीं देखा, वरना हम बच्चों को इसे नहीं देते।
दांतों में स्टेनिंग की प्रॉब्लम
ज्यादा सॉफ्ट ड्रिंक पीने से न केवल आपकी किडनी, लीवर और दिल पर बुरा असर पड़ता है बल्कि आपके दांतों का भी नुकसान हो जाता है। ज्यादा सोड़ा ड्रिंक लेने से दांत ड्रग्स या मेथ (मेथाएमफिलेमाइन) लेने वालों की तरह भुरभुरे और गहरी दरारों वाले होने का खतरा रहता है। अगर आप फिलिंग, बफ या टूथ पुलिंग से बचना चाहते हैं तो कोल्ड ड्रिंक्स पर कंट्रोल करें।
एक ताजा शोध में खुलासा हुआ है कि सॉफ्ट ड्रिंक और यहां तक कि डाइट सोड़ा आपके दांतों का इस हद तक सत्यानाश कर देते हैं, जितना दुनिया के दो बदनाम नशे (ड्रग्स और मेथाएमफिलेमाइन) मिलकर नहीं करते। डेंटिस्ट डॉ. केशव सिंह दागी ने बताया शीतल पेयों का कोई स्वास्थ्यकारी महत्व (विटामिन और खनिजों के संदर्भ में) नहीं होता। इनमें शकर, एसिड और अन्य कई तरह के एडिटिव व रंग होते हैं। अगर आप रेगुलर बच्चों को सॉफ्ट ड्रिंक पिलाते हंै तो उनके दांतों को नुकसान होता ही है। इसका एसिडिक फॉर्मूला दांतों में स्टेनिंग को बढ़ा देता है।
बढ़ा देता है ओबेसिटी
कोक और पेप्सी ऐसे पेय पदार्थ हैं जो बच्चों को एडिक्टेड बना देते हंै, इनमें जो केमिकल मिले होते हंै वो किसी भी व्यक्ति के लिए हार्मफुल होते हैं, लेकिन बच्चों के लिए ज्यादा, क्योंकि ये उनमें ओबेसिटी बढ़ाते हंै। इसमें एमके कैलोरीज होती हंै यानी इसकी न्यूट्रीशियन वेल्यू न के बराबर होती है। इससे कईबीमारियां हो सकती हैं। बच्चा कोल्ड्रिंक की डिमांड करे तो उसे घर में हेल्दी जूस या मोकटेल बनाकर दे दें।
-डॉ. प्रियंका जैन, चाइल्ड स्पेशलिस्ट
ये है खतरा
'कैफिन, शुगर और एसपार्टम - कैफीन युक्त कोल्ड्रिंक जैसे कोक आदि पीने के 20 मिनट बाद ही आपके शरीर में ब्लड शुगर का स्तर तेजी से बढ़कर इंसुलिन के साथ अत्यधिक तीव्रता से ऊपर उठता है। इनका प्रयोग शर्करा और सोडियम की मात्रा बढ़ा देता है, जिससे आपको सेहत से जुड़े गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकते हैं।
किडनी फेलुअर -कोल्ड्रिंक पीने पर आपका लीवर इस शुगर को वसा के रूप में संग्रहित कर लेता है, जिससे आपका वजन भी तेजी से बढ़ता है
और अनावश्यक फैट शरीर में जमा होता है। यह आपको हृदय रोग व टाइप-2 डाइबिटीज और कैंसर का शिकार बना सकता है।
मेटाबोलिज्म लेवल डिक्रिजेज- आपकी क्षमता को कम कर देता है।
ओबेसिटी एंड डायबिटिज - कोल्ड्रिंक्स में मिले केमिकल से मोटापे का खतरा बहुत बढ़ जाता है। मोटापा जड़ है हार्ट, लंग्स और किडनी को खराब करने की।
टीथ एंड बोन डेमेज - कोक एंड पेप्सी में पीएच लेवल 3.2 होता है, जो बहुत ज्यादा है। ये लिक्विड का एसिडिक नेचर बढ़ा देता है, इसलिए ये हमारी बोंस को जल्दी डिजॉल्व कर देता है।
रीप्रोडक्शन प्रॉब्लम्स- कोक में ऐसा केमिकल मौजूद है कि रोजाना इसे पीने से आपकी पुरानी बीमारियां वापस आ जाती हैं।
ब्लड प्रेशर - कोकाकोला व इस प्रकार के अन्य कोल्ड्रिंक्स पीने पर 40 मिनट के अंदर यह आपके शरीर द्वारा पूरी तरह सोख लिए जाते हंै और आपके ब्लडप्रेशर को बढ़ा देती हैं। इतना ही नहीं 45 मिनट बाद ही यह...डोपेमाइन का निर्माण बढ़ाकर आपके मस्तिष्क को प्रभावित करती है। मस्तिष्क पर इसका असर हेरोइन जैसे नशीले व खतरनाक ड्रग्स की तरह होता है।
घुले हैं 21 केमिकल
भारत के कई वैज्ञानिकों ने पेप्सी और कोका कोला पर रिसर्च करके बताया कि इनमें मिलाते क्या हैं। पेप्सी और कोका कोला वालों से पूछिए तो वो कहते हैं कि ये फॉमूर्ला टॉप सीक्रेट है। वैज्ञानिकों ने अध्ययन कर पता किया कि इनमें 21 तरह के जहरीले केमिकल मिलाए जाते हैं, जिनमें कैंसर पैदा करने वाले घटक होते हैं। यह बच्चों के लिए ही नहीं हर उम्र के व्यक्ति के लिए नुकसान दायक हैं। इसमें सोडियम मोनो ग्लूटामेट, पोटेशियम सोरबेट, ब्रोमिनेटेड वेजिटेबल आॅइल, मिथाइल बेंजीन होते हैं, जो किडनी को खराब करते हैं। सोडियम बेंजोइट- ये मूत्र नली, लीवर का कैंसर करता है, फिर इसमें जहर है।
एंडोसल्फान- ये कीड़े मारने के लिए खेतों में डाला जाता है, साथ ही कार्बन- डाई-आॅक्साइड जो बहुत ही जहरीली गैस है। जिसे कभी भी शरीर के अंदर नहीं ले जाना चाहिए और इसलिए कोल्ड ड्रिंक को कार्बोनेटेड वाटर कहा जाता है। पेप्सी कोला बनाने में चीनी के स्थान पर एक्सपार्टम का प्रयोग किया जाता है, जिससे मूत्रनली का कैंसर होता है। लगातार पेप्सी- कोला का सेवन करने से हड्डियों में आॅस्टोपोरोसिस और ओस्टीओपेनिया नामक बीमारियां होती हैं, जिनमें हड्डियां बहुत कमजोर हो जाती हैं।
ये है पीएच फॉर्मूला
पीएच एक इकाई होती है, जो की मात्रा बताने का काम करती है और उसे मापने के लिए पीएच मीटर होता है। शुद्ध पानी का पीएच सामान्यत: 7 होता है और (7पीएच) को सारी दुनिया में सामान्य माना जाता है। जब पानी में आप हाइड्रोक्लोरिक एसिड, सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड या कोई भी एसिड मिलाएंगे तो पीएच वैल्यू 6 हो जाएगी और ज्यादा एसिड मिलाएंगे तो ये मात्रा 5 हो जाएगी, और ज्यादा मिलाएंगे तो 4 हो जाएगी, ऐसे ही करते-करते जितना आप मिलाते जाएंगे ये मात्रा कम होती जाती है। जब पेप्सी-कोक के एसिड की जांच की गई तो पता चला कि वो 2.4 है और जो टॉयलेट क्लीनर होता है उसका पीएच और पेप्सी-कोक का पीएच एक ही है, 2.4 का मतलब इतना जहरीला की आप टॉयलेट में डालेंगे तो ये झकाझक सफेद हो जाएगा।