अनियमित खानपान और भागदौड भरी जिंदगी के बीच तेजी से उभर रही समस्या पीठ दर्द को आमतौर पर लोगबाग अधिक गंभीरता से नही लेते मगर चिकित्सकों का मानना है कि शुरूआती दौर में दर्द को नजरअंदाज करना उम्र बढने के साथ बडी परेशानी का सबब बन सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के एक सर्वेक्षण के अनुसार देश में 30 साल की उम्र से ऊपर का हर पांचवा व्यक्ति किसी ना किसी वजह से पीठ दर्द की समस्या से पीडित है। चिकित्सक इसके लिए सडक दुर्घटनाओं की बढती आवृत्ति के अलावा लांग ड्राइंविंग और कम्प्यूटर पर एक अवस्था में घंटो बैठकर काम करने की प्रवृत्ति समेत अन्य कारकों को जिम्मेदार मानते हैं।
कानपुर स्थित लाला लाजपत राय अस्पताल के अस्थि रोग विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक रोहित नाथ ने बताया कि हाल के सालों में पीठ दर्द से ग्रसित मरीजों विशेषकर युवा वर्ग की तादाद में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है। बैकपेन से पीडित उनके पास हर रोज आने वाले कई मरीज ऐसे होते हैं जिन्हे सालों पहले कोई चोट लगी थी अथवा उनकी नियमित दिनचर्या में मोटरसाइकिल पर लंबी दौड, कम्प्यूटर पर देर तक काम करने का बोझ के अलावा फास्टफूड का अत्यधिक सेवन आदि शामिल था।
उन्होने बताया कि शहरों में ट्रैफिक के बढते बोझ के कारण आयेदिन होने वाली दुर्घटनाओं में खासी बढोत्तरी हुई है जबकि स्पीड ब्रेकरों की बढ़ती तादाद, लैपटाप अथवा मोबाइल को घंटो एक अवस्था में बैठकर निहारने की प्रवृत्ति, जंक फूड के व्यापक इस्तेमाल से बढता मोटापा हड्डियों पर अतिरिक्त बोझ डाल रहे हैं। इसके अलावा स्कूली बच्चों के कंधो पर भारी भरकम बैग और युवाओं के लैपटाप बैग हड्डी की समस्या को बढावा दे रहे हैं।