हमारी हार्मोन प्रणाली की महत्वपूर्ण ग्रंथि (ग्लैंड्स) है थायरायड। इससे जो हार्मोंस बनते हैं, वे मेटाबोलिज्म के अलावा शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करते हैं। इनसे ही बॉडी ग्रो होती है। थायराइड ग्लैंड्स से बनने वाले महत्वपूर्ण हार्मोन हैं टी -4 (थायरॉक्साइन) और टी -3 (ट्रीओडोथरोनाइन) और टी -3 मेटाबोलिज्म के सुचारू संचालन में अहम भूमिका है। थायराइड ग्लैंड्स से बनने वाले हार्मोंस के स्तर में कमी या बढ़ोतरी से कई रोगों का खतरा बढ़ता है।
लक्षणों को पहचानें...
ये व्यक्तिश: बदलते हैं और थायराइड रोग के सामान्य लक्षण हैं -अनावश्यक थकान, विस्मृति और असमंजस (कन्फ्यूजन)। ठंड का बार -बार अहसास, लगातार कब्जी, सूखी त्वचा, शरीर में तरलता बढ़ना या थमना। जोड़ों व मसल्स में जकड़न, जलन व दर्द। मासिक धर्म के समय अत्याधिक रक्तस्त्राव, अवसाद (डिप्रेशन) के अलावा अत्याधिक पसीना आना। गर्मी सहने की क्षमता में कमी, आंतड़ियों में मूवमेंट बढ़ना, कंपकंपी तेजी से धड़कन, वजन में अनायास कमी, एकाग्रचित भंग होना, अनियमित मासिक धर्म और अनियमित धड़कन।
हार्मोन कम क्यों...?
आॅटोइम्यून रोगों के कारण थायराइड ग्लैंड्स में सूजन या जलन के कारण, रेडियोएक्टिव थैरेपी के कारण थायरायड का इनएक्टिव होना, थायरायड ग्लैंड्स के क्रियाकलाप को नियंत्रित करने वाली ग्रंथि में गड़बड़, कुछ दवाएं थायराइड ग्लैंड्स की क्षमता घटाती हैं।
सावधानी बरतना जरूरी...
थायराइड रोग से तो नहीं बच सकते पर कुछ बातों की निगरानी करें, तो समय पर उपचार लेकर खतरा घटा सकते हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को थायराइड रोग का खतरा ज्यादा है, क्योंकि उनकी शरीर संरचना रजोधर्म, गर्भ, शिशु, जन्म और अनियमित रजोवृत्ति के कारण बार -बार बदलती है। हर बदलाव का थायराइड हार्मोंस पर प्रभाव पड़ता है, जो थायराइड रोग का खतरा बढ़ाता है।
आयोडिन सुनिश्चित करें कि खानपान में अपर्याप्त व अत्यधिक आयोडिन फूड्स न हों और मिनरल्स की कमी भी न हो। 50 की उम्र के बाद इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) कम जाती है और शरीर में कई हामोनल बदलते हैं। 35 वर्ष की उम्र के बाद नियमित रूप से थायराइड प्रोफाइल टेस्ट करवाएं।
थायराइड वंशानुगत रोग है, जिनके माता पिता या परिवार में इसकी परंपरा है, उनके लिए ज्यादा खतरा है। ऐसे लोगों को सालाना थायराइड एम्बैलेंस की जांच करवाना चाहिए। डायबिटीज रोगी इसलिए हर साल थायराइड की जांच करवाएं। तनाव के कारण भी थायराइड होता है। तनाव में रहेंगे, तो हार्मोनल स्तर बदलेगा। आपाधापी का जीवन जीने वाले थायराइड से बचना चाहते हैं, तो ध्यान व योग करें।
ये योगासन हैं बेहतर...
सर्वांगासन, विपरीतकरणी, अनुशीर्षासन, मत्स्यासन, हलासन, मजीरियासन, सूर्य नमस्कार, सेतु बंधासन, शिशु आसन, शवासन।