लोगों में हुक्का पीने का शौक कोई नया नहीं है, यह शौक तो राजा- महाराजाओं के जमाने से चला आ रहा है। भारत में अब हर छोट बडे़ शहरों और मॉल्स में हुक्का बार या शीशा लाउंज प्रचलित होते नजर आ रहे हैं।
स्कूल-कॉलेज के बच्चों में हुक्का ज्यादा पॉपुलर हो रहा है। बहुत से लोग मानते हैं कि हुक्का पीना सिगरेट पीने के मुकाबले बिल्कुल भी हानिकारक नहीं होता।
लेकिन हुक्के से खींचा गया तंबाकू का धुआं पानी से होता हुआ एक लंबे होज पाइप के जरिए फेफड़ों तक पहुंचता है। पानी से होते हुए आने के कारण ही यह एक आम भ्रांति है कि हुक्के का धुआं हानिकारक नहीं होता।
हुक्का पीने से होते है ये नुकसान
1. हुक्का पीना सिगरेट की ही तरह हानिकारक है क्योंकि दोनों उत्पाद के अंत में कार्सिनोजन लगा रहता है जो कि एक कैंसर पैदा करने वाला पदार्थ है।
2. इसमें किसी भी तरह की सच्चाई नहीं है। हुक्के का स्वाद बदलने के लिए केवल उसमें फ्रूट सीरप मिलाया जाता है जिससे उसके फ्लेवर में बदलाव आ जाता है। इसका यह मतलब नहीं है कि हुक्के में किसी प्रकार का फल मिलाया गया हो। इसलिए यह आशा ना करें कि हुक्के को पीकर आपको विटामिन मिलेगा।
3. हुक्के की तम्बाकू में पाया जाने वाला एक हानिकारक पदार्थ निकोटिन होता है जो हुक्का पीने पर हमारे शरीर में प्रवेश करता हैं। यह हानिकारक पदार्थ निकोटिन हाथ-पैरों की खून की नलियों में धीरे-धीरे कमजोरी व सिकुड़न पैदा करना शुरू कर देता है।
4. यह बिल्कुल गलत है कि धुएं से भरा पानी आपके फेफड़े को बिल्कुल सिगरेट की तरह नुकसान पहुंचा सकता है। पानी धुएं को फिल्टर नहीं करता। तंबाकू के धुए में चार हजार तरह के जहरीले रसायन होते हैं।
5. यह गलत धारणा है कि हुक्के का कोई आदि नहीं हो सकता। सिगरेट की तरह इसमें भी निकोटीन होता है इसलिए किसी किसी को इसकी लत लग सकती है।
6. हर्बल शीशा या हुक्का किसी भी तरह से फायदा नहीं पहुंचाता। बल्कि यह व्यक्ति को तार और कैंसर पैदा करने वाले तत्वों से भरता है।
7. सच्चाई तो यह है कि हुक्के का धुआं ठंडा होने के बाद भी हानिकारक होता है। इसमें कैंसर पैदा करने वाले एजेंट भारी मात्रा में होते हैं। हांलाकि यह फेफडे़ को जलाता नहीं है पर फिर भी यह रिस्की है।
8. आप जितनी बार भी हुक्के की पाइप को शेयर करेंगे आपको उतनी ही बार संक्रमण, हर्पीस या अन्य बीमारियां फैलने का खतरा हो सकता है।