घबराहट, चिंता से दमा बढ़ सकता है और फेफड़े के काम करने की क्षमता में भी कमी आ सकती है। एक नए अध्ययन से पता चला है कि घबराहट, व्यग्रता को कम करने के मकसद से किए गए उपचार से दमा के मरीज फेफड़े की बीमारी से बेहतर तरीके से निपट सकते हैं।
जिन लोगों को घबराहट, चिंता करने की आदत के साथ दमा भी है उन लोगों के लिए यह बीमारी कहीं अधिक कमजोर कर देने वाली और खतरनाक हो सकती है। ऐसे लोगों को दमा को नियंत्रित करने में कठिनाई होती है। अध्ययन में इस मुद्दे पर गहराई से प्रकाश डाला गया है और दमा के लक्षणों को कम करने में मदद करने वाले उपचार बताये गए हैं।
अमेरिका में यूनिवर्सिटी आॅफ सिनसिनाटी के शोधकर्ताओं ने कॉॅलेज के 101 ऐसे छात्रों पर अध्ययन किया जिनके बारे में दमा होने की सूचना थी। शोधकर्ताओं ने कहा जैसी उम्मीद थी वैसा ही हुआ, जिन लोगों को अधिक चिंता करने की आदत थी, उनमें अध्ययन के दौरान दमा के लक्षण अधिक पाये गये और उनके फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी पायी गई।