तांबे के बर्तन का पानी पीयें- तांबे के बैक्टीरिया-नाशक गुणों में मेडिकल साईंस बड़ी गहरी रुचि ले रहा है। पिछले कुछ वर्षों में कई प्रयोग हुए हैं और वैज्ञानिकों ने यह मालूम किया है कि पानी की अपनी याददाश्त होती है। यह हर उस चीज को याद रखता है जिसको यह छूता है। पानी की अपनी स्मरण-शक्ति होने के कारण हम इस बात पर ध्यान देते हैं कि उसको कैसे बर्तन में रखें। अगर आप पानी को रात भर या कम-से-कम चार घंटे तक तांबे के बर्तन में रखें तो यह तांबे के कुछ गुण अपने में समा लेता है। ताम्बे के बर्तन से पानी पीएं यह पानी खास तौर पर आपके लीवर के लिए और आम तौर पर आपकी सेहत और शक्ति-स्फूर्ति के लिए उत्तम होता है।
शरीर को नींद नहीं, आराम दें- आप सोने किस वक्त पर जाते हैं, यह तो आपके लाइफ स्टाइल पर निर्भर करता है। लेकिन महत्व इस बात का है कि आपको कितने घंटे की नींद की जरूरत है। अक्सर कहा जाता है कि दिन में आठ घंटे की नींद लेनी ही चाहिए। अगर आप पूरे दिन अपने शरीर को आराम दें, अगर आपका काम, आपकी एक्सरसाइज सब कुछ आपके लिए एक आराम की तरह हैं तो अपने आप ही आपकी नींद के घंटे कम हो जाएंगे। लोग हर चीज तनाव में करना चाहते हैं। मैंने देखा है कि लोग पार्क में टहलते वक्त भी तनाव में होते हैं। अब इस तरह का व्यायाम तो आपको फायदे की बजाय नुकसान ही करेगा,क्योंकि आप हर चीज को इस तरह से ले रहे हैं जैसे कोई जंग लड़ रहे हों। आप आराम के साथ क्यों नहीं टहलते चाहे टहलना हो या जॉगिंग,उसे पूरी मस्ती और आराम के साथ क्यों नहीं कर सकते, आज आप जो शारीरिक श्रम कर रहे हैं, उसका स्तर कम है, तो आप कम खाएं। कल अगर आपको ज्यादा काम करना है तो आप ज्यादा खाएं। नींद के साथ भी ऐसा ही है। जिस वक्त आपके शरीर को पूरा आराम मिल जाएगा, यह उठ जाएगा चाहे सुबह के 3 बजे हों या 8 आपका शरीर अलार्म की घंटी बजने पर नहीं उठना चाहिए। एक बार अगर शरीर आराम कर ले तो उसे खुद ही जग जाना चाहिए।
एक हफ्ते में एक बार उपवास करें- आप शरीर के प्राकृतिक चक्र से जुड़ा ‘मंडल’ नाम की एक चीज होती है। मंडल का मतलब है कि हर 40 से 48 दिनों में शरीर एक खास चक्र से गुजरता है। हर चक्र में तीन दिन ऐसे होते हैं जिनमें आपके शरीर को भोजन की आवश्यकता नहीं होती। अगर आप अपने शरीर को लेकर सजग हो जाएंगे तो आपको खुद भी इस बात का अहसास हो जाएगा कि इन दिनों में शरीर को भोजन की जरूरत नहीं होती। इनमें से किसी भी एक दिन आप बिना भोजन के आराम से रह सकते हैं। मगर एक बात और, अगर आप बार-बार चाय और कॉफ़ी पीने के आदी हैं और उपवास रखने की कोशिश करते हैं तो आपको बहुत ज्यादा दिक्कत होगी। इस समस्या का तो एक ही हल है। अगर आप उपवास रखना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने खानपान की आदतों को सुधारें। पहले सही तरह का खाना खाने की आदत डालें, तब उपवास की सोचें। अगर खाने की अपनी इच्छा को आप जबरदस्ती रोकने की कोशिश करेंगे तो यह आपके शरीर को हानि पहुंचाएगा। यहां एक बात और बहुत महत्वपूर्ण है कि किसी भी हाल में जबरदस्ती न की जाए।
पीठ को सीधा रखकर बैठें- आधुनिक विचारों के मुताबिक, आराम का मतलब पीछे टेक लगाकर या झुककर बैठना होता है। लेकिन इस तरह बैठने से शरीर के अंगों को कभी आराम नहीं मिल पाता। शरीर के भीतरी अंगों के आराम में होने का खास महत्व है। इसके कई पहलू हैं। फिलहाल हम इसके सिर्फ एक पहलू पर विचार कर रहे हैं। शरीर के ज्यादातर महत्वपूर्ण भीतरी अंग छाती और पेट के हिस्से में होते हैं। ये सारे अंग न तो सख्त या कड़े होते हैं और न ही ये नट या बोल्ट से किसी एक जगह पर स्थिर किए गए हैं। ये सारे अंग ढीले-ढाले और एक जाली के अंदर झूल रहे से होते हैं। इन अंगों को सबसे ज्यादा आराम तभी मिल सकता है, जब आप अपनी रीढ़ को सीधा रखकर बैठने की आदत डालें।