रमजान के पवित्र महीने में रोजेदार सूरज डूबने पर इफ्तार पारपंरिक खजूर से करते हैं साथ ही दस्तरखान पर अन्य फल, दूध और जूस होते हैं। परिवार और मित्रों के लिए इफ्तार को खास बनाने के लिए खानसामे पारंपरिक मेवों को आसानी से बनने वाली मिठाइयों में मिला रहे हैं। खानसामा सुरजन सिंह जौली ने कहा कि उन्होंने हैदराबाद में सूखी खुबानी से बनने वाले ‘खुबानी का मीठा’ से प्रेरणा लेकर ‘खजूर का मीठा’ बनाया।
जौली ने कहा, इस जल्दी से बनने वाली मिठाई के लिए आप कटे हुए बादामों के साथ खजूरों को दूध में तब तक मिलाएं जब तब वो गूदेदार न हो जाए। खजूर का रंग थोड़ा गहरा होता है और यह आसानी से मिलकर एक व्यंजन में बदल जाता है। खानसामे ने कहा कि खजूर सेहत के लिए अच्छी होती हैं और यह मीठी भी होती है, इसलिए आप को इसमें अलग से चीनी मिलने की जरूरत नहीं है। इसलिए ‘‘खजूर का मीठा’’ इफ्तार की दावतों को लजीज बनाने का काम करता है।
खजूरों में फाइबर होता है और रमजान में खाने का चक्र बदल जाता है ,दिन में खाना नहीं खाया जाता इसलिए खजूरों के सेवन से किसी को कब्ज नहीं होता है और मूत्र भी ठीक होता है। इफ्तार के बाद भूख मिटाने के लिए इसमें पर्याप्त केैलोरी होती हैं।
पोषण विशेषज्ञ डॉ. विद्या आर ने कहा कि खजूर आयरन का एक अच्छा स्रोत हैं और यह हीमोग्लोबीन को सही रखने में मदद करता है और चक्कर, काले घेरे, बालों के झड़ने को रोकता है और रोग प्रतिरक्षा को बढ़ाता है। जौली ने कहा कि खजूरों से एक अन्य व्यंजन भी बनाया जा सकता है। इसके लिए खजूरों को पानी में गर्म करें, उपर से केसर डालें, इसे ब्रेड के साथ खाएं या खजूरों के भुर्तें को सफेद चॉकलेट के साथ भी खा सकते हैं।
खानसामे ने कहा कि खजूर से बनने वाले यह व्यंजन बनाने में आसान है। छात्रावास में रहने वाले भी इसे बना सकते हैं जो इफ्तार में घर की बनी इफ्तारी का लुफ्त नहीं उठा पाते हैं। खजूरों की बड़ी संख्या में दुकानें पुरानी दिल्ली में जामा मस्जिद के पास हैं। यहां पर 120 रूपये से लेकर 1000 रूपये किलोग्राम तक की खजूर मिल जाएगी।
दिल्ली फूड वॉक्स के अनुभव ने कहा कि इफ्तार और सहरी के वॉक्स के दौरान वह अपने मेहमानों को खजूर फैक्टरी में लेकर जाते हैं जहां पर वे चॉकलेट खजूर, बादाम खजूर, खुबानी खजूर, और अन्य प्रकार की खजूरों का लुफ्त उठाते हैं। अनुभव पुरानी दिल्ली में फिलहाल इफ्तार वॉक आयोजित करा रहे हैं। वह पिछले पांच साल से रमजान के महीने में ऐसी वॉक्स आयोजित करा रहे हैं। प्राइमस अस्पताल में मधुमेह विशेषज्ञ डॉ ए के झिंगन ने कहा कि मधुमेह से पीड़ित रोजेदारों के लिए खजूर श्रेष्ठ हैं।
उन्होंने कहा कि रमजान के महीने में मधुमेह के रोगी का पांच से दस किलोग्राम वजन घटता है। खजूर से इफ्तार करना और पर्याप्त मात्रा में सब्जियों और फलों का सेवन करना तथा मसालेदार और तला हुआ न खाना फायदेमंद है। 62 वर्षीय मधुमेह रोगी मोहम्मद रफी ने कहा कि वह इस तरह पिछले 20 सालों से रोजा रखते आ रहे हैं। रफी ने कहा, मैं अपनी दवाई सेहरी (सूरज निकलने से पहले भोजन आदि करना) में लेता हूं, और अन्य आम दिन की तरह मीठी चीजें नहीं खाता। मैं इफ्तार में ज्यादा फल और खजूर खाता हूं जो मेरा पेट भरती हैं।