ऐनस के अंदरूनी और बाहरी क्षेत्र और रेक्टम के निचले हिस्से की शिराओं में सूजन के साथ खून आना बवासीर बीमारी की तरफ संकेत करता है। उम्र बढ़ने पर ये बीमारी आम हो जाती है. बवासीर पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलने वाली बीमारी है. कई बार इस बीमारी की वजह से लोग इतना परेशान हो जाते हैं कि उन्हें घंटों टॉयलेट में बैठना पड़ता है। आज हम बवासीर बीमारी के लक्षण, कारण और इसका ऐसा चमत्कारी उपाय बताने जा रहे हैं जिसके सेवन से आपको कभी इस खतरनाक बीमारी की शिकायत नहीं होगी। बवासीर के लिए यूं तो कई चूर्ण और दवाइयों के माध्यम से छुटकारा पाया जा सकता है। लेकिन उनमें से कुछ इलाज ऐसे है जो न सिर्फ महंगे है।
बल्कि बीमारी को जड़ खत्म करने में भी कारगर नहीं हैं। ऐसे में जामुन की गुठली और आम की गुठली बवासीर के लिए काफी लाभकारी है। बवासीर से पीड़िक रोगी आम और जामुन के भीतर का भाग सुखाकर दोनों को पीस लें और चूर्ण बना लें। 5 दिन तक इस चूर्ण को हल्के गर्म पानी या छाछ के साथ पीने से बवसीर ठीक होती है। इसके साथ ही बवासीर में खू’न का गिरना बंद हो जाता है। जामुन की गुठली यानी बीज ही नहीं जामुन के पेड़ की छाल भी बवासीर के लिए लाभकारी है।
जामुन के पेड़ की छाल का रस निकालकर उसके 10 ग्राम रस में शहद मिलाकर रोज सुबह-शाम पीने से बवासीर रोग ठीक होता है साथ ही खून साफ होता है। इसके अलावा खूनी बवासीर में खून का गिरना रुक जाता है। जामुन की गुठली और छाल के साथ साथ जामुन की कोमल पत्तियां भी बवासीर के लिए रामबाण है। जिसका उपयोग करके बवासीर में लाभ पाया जा सकता है। इसके लिए करना ये है कि 20 ग्राम रस निकालकर उसमें थोड़ा बूरा मिलाकर पीयें। इससे खूनी बवासीर ठीक होती है।