आज के टेक्नोलाजी के इस युग में सिर्फ बड़े ही नहीं, बल्कि बच्चों को भी मोबाइल फोन या इंटरनेट से दूर रख पाना संभव नहीं है। अगर आप अपने आसपास देखें तो आपको दो-तीन साल के बच्चों के हाथों में मोबाइल दिख जाएगा। लेकिन यह उनकी सेहत के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। जरूरत से ज्यादा देर तक स्क्रीन पर रहने से बच्चों की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में-
हाल ही में विश्व स्वास्थ संगठन ने भी इस समस्या पर चिंता जताई है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, बच्चों को आईपैड या दूसरे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से दूर रख कर ही उन्हें इनके असर से बचाया जा सकता है। पांच साल से कम उम्र के बच्चो को ज्यादा एक्सरसाइज और नींद की जरूरत है ताकि वह किशोर उम्र में मोटे न हों और आगे भी उनकी जिंदगी बीमारियों से दूर रहे।
इतना ही नहीं, विश्व स्वास्थ संगठन ने पूरी दुनिया में मोटापे के खतरे को देखते हुए अभियान चलाया है। इस अभियान के तहत ही डब्ल्यूएचओ बच्चों के स्क्रीन टाइम यानी मोबाइल या टीवी के सामने बिताए जाने वाले वक्त के बारे में गाइडलाइंस जारी किए गए हैं। जिसमें एक साल या इससे कम उम्र के नवजात शिशुओं को स्क्रीन के सामने बिलकुल नहीं लाना चाहिए।
उन्हें दिन भर में एक घंटे से ज्यादा स्ट्रॉलर्स, हाई-चेयर या स्ट्रैप ऑन कैरियर्स में भी नहीं रखना चाहिए। एक से दो साल तक के बच्चों के लिए कुछ ही मिनटों का स्क्रीन टाइम काफी है। ऐसे बच्चों के लिए कम से कम तीन घंटे की शारीरिक सक्रियता जरूरी है। विश्व स्वास्थ संगठन के मुताबिक स्क्रीन के सामने ज्यादा वक्त बिताने वाली पांच साल की कम उम्र के बच्चों की लाइफस्टाइल गतिहीन हो सकती है। ऐसे बच्चे मोटापा और उससे संबंधित दूसरी बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।