दूध के दांतों में कीड़ा लग जाता है और हम यह सोचकर फिलिंग नहीं कराते कि इन्हें तो गिरना ही है तो समय से पहले ही दूध के दांत खराब हो जाते हैं जिससे बहुत सारी समस्याएं पैदा हो सकती हैं जैसे :-
इससे चबाने में मुशिकल हो सकती है जिससे बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। यदि समय से दूध के दांतों में कीड़ा लगने पर फिलिंग नहीं करार्इ जाती तो इन्फैक्षन दूध के दांतों के नीचे आने वाले स्थायी दांत तक पहुंच कर उसे नुकसान पहुंचा सकता है।
प्रत्येक दूध का दांत अपने नीचे आने वाले स्थायी दांत के लिए जगह रोक कर रखता है। यदि दूध का दांत किसी भी कारणवश समय से पहले निकल जाए तो आस-पास के दांत उस जगह में सरकने लगते है और इसके नीचे आने वाले पक्के दांत को निकलने के लिए पूरी जगह नहीं मिल पाती जिसके कारण वह मुंह में इधर-उधर निकलता है और बच्चे के दांत टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं और बाद में तारों के इलाज (Braces) द्वारा ठीक कराने पड़ते हैं।
इससे बच्चे के ठीक से बोलने में भी परेशानी आ सकती है। समय से पहले दूध के दांत निकलने से जबड़े के विकास पर भी बुरा असर पड़ सकता है।
दांतों को किसी भी प्रकार की बीमारी से बचाने के लिए 6-12 वर्ष की उम्र के बीच कम से कम दो बार बच्चों को दंत रोग विशेषज्ञ को दिखाएं और परामर्श लें। यदि इस समस्या का समय पर इलाज न किया जाए तो दांत टेढ़े-मेढ़े हो सकते हैं या डेंटल ब्रेसिस या वायरिंग भी करवानी पड़ सकती है। जो एक लंबा और महंगा उपचार है।