गुना। एक बैल मर जाने से एक गरीब ग्रामीण को बैलगाड़ी में खुद जुतना पड़ा, ताकि उसका परिवार भूख से परेशान न हो। इस ग्रामीण ने 12 किलोमीटर बैलगाड़ी में दूसरे बैल की जगह जुतकर गाड़ी खींची। इस दौरान उसकी पत्नी डेढ़ साल के बच्चे को साड़ी से कंधे में लटकाकर गाड़ी में धक्का लगाती रही। यह वाकया गुना जिले के जामनेर का है। यह परिवार सब्जी काटने वाले चाकू-छुरी बेचकर अपना पेट पालता है।
मजबूरी का घटनाक्रम :-
-: बैल मर जाने पर मोहन ने मरा बैल वहीं छोड़ा और बैलगाड़ी में खुद ही जुतने का निर्णय किया।
-: पत्नी को बैलगाड़ी में बैठने को कहा, लेकिन उसे यह बात मंजूर नहीं थी कि पति गाड़ी अकेले खींचे।
-: ऐसे में पत्नी ने बेटे को साड़ी के पल्लू की झोली बनाकर उसे कंधे से लटकाया और गाड़ी में धक्का लगाने लगी।
-: पति-पत्नी ने 12 किलोमीटर तक गाड़ी खींची और जामनेर पहुंचे।
-: जामनेर में मोहन सुबह-सुबह पहुंचा तो गलियों से गाड़ी खींचकर गुजरते हुए देखकर लोग हैरान रह गए।
-: गाड़ी खींचते-खींचते मोहन पसीने से तर-बतर हो रहा था। पत्नी भी उसका साथ दे रही थी।
-: पति-पत्नी के पास पैसे नहीं थे और भूख से बुरा हाल था। तब जामनेर के लोगों ने उनके खाने का इंतजाम किया।
-: मोहन ने कहा, जब तक हिम्मत है वह ऐसे ही गाड़ी खींचकर अपना सामान बेचेगा और पैसे बचाकर दूसरा बैल खरीदेगा।