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दादा-दादी, नाना-नानी की ओर से बधाई

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 12 2017 11:19AM | Updated Date: Jan 13 2017 12:24PM
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-वीना नागपाल

प्राय: समाचार पत्रों में विज्ञापन में बच्चों के जन्मदिन को लेकर चित्र दिए जाते हैं। उनमें उनके जन्मदिन पर दी गई शुभकामनाओं में लिखा होता है उनमें दादा-दादी, नाना-नानी और सारे परिवार की ओर से जन्मदिन की बधाई। कई बार चाचा-चाची या बड़े पापा व बड़ी मम्मी का भी विशेष स्नेह भरा रिश्ता बताया जाता है। इसे देखकर और जानकर बहुत अच्छा लगता है।

इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण उभरकर आता है। हो सकता है दादा-दादी और शेष परिवार संयुक्त रूप से रहता हो। यह भी हो सकता है वह परिवार संयुक्त न होकर एकाकी हो पर, उनमें परस्पर निकटता और आत्मीयता बनी हुई हो। यदि इतना भी है तो भी लगता है पर्याप्त है आजकल के माहौल को देखते हुए इसे भी संबंधों के महत्व के रूप में देखा जाना चाहिए। जिस तरह के समाचार मिलते हैं कि बेटे-बहू ने अपने लालच व स्वार्थ के लिए किस तरह अपने माता-पिता को पीड़ित किया और उन्हें अति दु:ख देते हैं तो उसकी तुलना में एकाकी परिवार बनाने के बाद भी यदि अपने बुजुर्गों से नाता नहीं तोड़ा है थोड़ी दूर रह कर भी उनके सुख-दु:ख का ध्यान रख रहे हैं तो यह बात भी महत्वपूर्ण है। इसे सकारात्मक दृष्टि से देखा जाना चाहिए। माता-पिता के साथ संबंध बने हुए हैं तभी तो दादा-दादी की भी शुभकामनाएं और आशीर्वाद बच्चे के जन्मदिन पर शामिल किए गए हैं। इसी तरह नाना-नानी का नाम शामिल करने का भी बहुत महत्व है। इससे भी यह स्पष्ट होता है कि उस परिवार से भी बहुत मधुर व स्नेहिल संबंध हैं जिस परिवार की बेटी इस घर में आई है। नहीं तो यह भी एक कटु सत्य है कि प्राय: बहू या पत्नी के मायके वालों से वह निकटता और समीपता नहीं होती जो कि होना ही चाहिए। इसके अतिरिक्त सारे परिवार की ओर से बच्चे को दी जाने वाली शुभकामनाओं से उस कुटुंब के अस्तित्व का परिचय मिलता है जिससे भारतीय समाज पहचाना व जाना जाता है। हो सकता है कि कुछ परिस्थितियों वश या परिवार की जरूरतों को देखते हुए संयुक्त परिवार बना नहीं रहे परंतु इतना भी बहुत है कि परिवारों में परस्पर संबंधों का निर्वाह किया जाए। यदि ऐसा भी आज इस समय हो रहा है तो यह व्यवहार भी आश्वस्त करता है कि अब भी परिवारों में वह सोच व विचार मौजूद हैं कि परिवारों का दु:ख-सुख सांझा है और यदि किसी भी सदस्य को कोई आवश्यक्ता पड़ती है या उस पर कोई संकट आता है तो सब एकजुट होकर उसकी सहायता के लिए इकट्ठे हो सकते हैं। इसी तरह परिवार के बच्चे के प्रति सबका स्नहे है व हृदय से उसके लिए आशीर्वाद है। जहां तक बच्चों के जन्मदिन पर सारे परिवार द्वारा दी गई शुभकामनाओं की बात है तो उसका भी महत्व इसलिए बढ़ जाता है कि बच्चा उसी माहौल में पल-बढ़ रहा है और अपने बचपन से यह सीख रहा है कि संबंधों की पृष्ठभूमि क्या है और उन्हें किस प्रकार निभाया जाता है। बड़ों का इस अवसर पर आशीर्वाद लेना कितना महत्वपूर्ण है। उसके लिए उसे अलग से संस्कारित करने की आवश्यक्ता नहीं होती और यदि सच कहें तो इन्हें सिखाया भी नहीं जा सकता। इन्हें तो परिवार के माहौल को देखकर ही और उसमें समय बिताते हुए सीखा व समझा जा सकता है। इसलिए बच्चे के जन्मदिन पर दादा-दादी व नाना-नानी और परिवार और परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा दी गई शुभकामनाओं के विज्ञापन पढ़कर बहुत अच्छा लगता है और यह सांत्वना मिलती है कि यदि पारिवारिक रिश्तों में संबंध और संवाद मौजूद है तो भारतीय संस्कारों का प्रभाव मिट नहीं सकता।

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