19 Apr 2024, 15:35:52 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-रशीद किदवई
वरिष्ठ पत्रकार


हर कोई छुट्टी पर जाना चाहता है, परिवार के साथ वक्त बिताना चाहता है। कोई भी हो उसके लिए छुट्टी पर किसी रोमांच से कम नहीं होता, लेकिन यही छुट्टियां जब कोई राजनीतिक या फेमस पर्सनल्टी मनाने चुपचाप निकल पड़ता है तो वह चर्चा का केन्द्र बन जाती है। बात जब देश के सबसे बड़े राजनीतिक घराने की हो तो मामला और भी दिलचस्प हो जाता है। यहां बात राहुल गांधी के छुट्टियों पर जाने की हो रही है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष इन दिनों निजी छुट्टियों पर लंदन रवाना हो गए हंै जहां वह करीब एक सप्ताह तक रहेंगे। राहुल की छुट्टी के लिए उनके ही एक ट्वीट का हवाला दिया जा रहा है, लेकिन यहां कांग्रेस के युवराज की छुट्टियों पर जाने की बात इसलिए की जा रही है, क्योंकि राहुल की छुट्टियां किसी पहेली से कम नहीं होती। पिछले बार जब 16 फरवरी 2016 को राहुल गांधी 15 दिन की छुट्टियों पर गए थे और 57 दिन बाद लौटे तो उनकी खूब आलोचना हुई। इस बार भी उनकी छुट्टियों को लेकर कुछ ऐसा ही लगता है, क्योंकि देश में जिस तरह की राजनीतिक घमासान मचा है उसे देखते हुए राहुल गांधी के छुट्टी पर जाने की सलाह देने वाला उनका दोस्त तो हरगिज नहीं हो सकता। उनके सलाहकारों की फेहरिस्त में गिने जाने वाले कुछ वरिष्ठों की बात करें तो वह तो हरगिज इस समय उन्हें छुट्टी पर जाने की सलाह नहीं दे सकते तो क्या राहुल का यह अपना फैसला है?

सिर्फ राहुल गांधी ही नहीं उनके पिता राजीव गांधी की छुट्टियां भी देशवासियों के लिए आकर्षण और आलोचना का केंद्र बनती थीं, लेकिन पिता और बेटे के छुट्टी मनाने में जमीन-आसमान का फर्क है। जहां राहुल गांधी अज्ञातवास में चले जाते हैं तो वही राजीव गांधी अपने परिवार और दोस्तों के साथ छुट्टियों पर निकलते थे। 1984 से 1989 के बीच राजीव गांधी प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष की भूमिका में रहे इस दौरान वह क्रिसमस और नए साल की छुट्टियां मनाया करते थे। 1985 में वह एमपी के कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान, 1986 रणथम्भौर नेशनल पार्क राजस्थान, 1987 में सोनिया और अपने दोस्तों के साथ अंडमान निकोबार और 1988 में उन्होंने लक्ष्यद्धीप में छुट्टियां मनार्इं। रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान तो उस दौरान छह दिनों तक आम लोगों के लिए बंद ही कर दिया गया था।

राजीव के साथ इन छुट्टियों में सोनिया गांधी और दोनों बच्चे प्रियंका और राहुल सहित इटली से आए उनके माता-पिता और रिश्तेदार, राजीव के दोस्त ब्रजेंद्र सिंह उनका परिवार, अमिताभ बच्चन-जया और उनके दो बच्चों सहित 23 लोगों ने मिलकर नए साल की छुट्टियां बिताई थीं।

बताया जाता है इस दौरान राजीव गांधी एक खुली जीप में आधा घंटा घूमते रहे, यही नहीं उन्होंने प्रधानमंत्री होने के बावजूद भी 4500 रुपए का बिल भी भरा और रसोइए और अटेंडेंट को दो हजार रुपए टिप के रूप में भी दिए थे। जब 1988 में जब राजीव गांधी लक्ष्यद्वीप छुट्टी मनाने गए तो वहां एक समुद्र किनारे घायल व्हेल को उन्होंने अपने सुरक्षाकर्मियों की सहायता से हिंद महासागर में पहुंचाया। कुल मिलाकर राजीव गांधी के इन संस्मरणों के द्वारा बताने का प्रयास है कि जनता राजनेताओं को सिर्फ काम करते देखना चाहती है न कि छुट्टियां मनाते। कहते हैं कि भूतकाल में हुई गलतियों से सीख लेनी चाहिए तो राहुल गांधी के सामने उनके पिता का उदाहण है उस समय तो सोशल मीडिया और न्यूज चैनल भी नही थे।

देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिंह राव, एचडी देवेगौड़ा, आईके गुजराल, मनमोहन सिंह, अटलबिहारी बाजपेयी आदि की छुट्टियों पर भी हमेशा से लोगों की निगाह रही है। पीएम नरेंद्र मोदी ने जनता के सामने एक उदाहरण पेश करते हुए पदभार ग्रहण करने के बाद से कोई छुट्टी नहीं ली। यह एक आरटीआई सूचना में मांगे गए प्रश्न के उत्तर में पीएमओ ने बताया है।

राहुल गांधी की बात की जाए तो वह आने वाले समय में एक बड़े नेता के रूप में उभर रहे हैं, जिसको लेकर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि राहुल को अपने सार्वजनिक जीवन में अपनी निजी ख्वाहिशों को दूर रखना चाहिए, नहीं तो वह हमेशा ही आलोचना के भागीदार रहेंगे। राजनीतिक पंडितों की मानें तो राहुल को विदेशों में राजनीतिक समारोह और पार्टी कॉन्फ्रेंसों में शिरकत करनी चाहिए यह एक अच्छा उदाहरण होगा। राहुल लंदन से आने के बाद इसी माह चीन जाएंगे, लेकिन वो छुट्टी नहीं पार्टी का कार्य है।

राहुल कांग्रेस के एक प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व करेंगे और कम्युनिस्ट पार्टी आॅफ चाइना से उच्च स्तर पर बातचीत करेंगे। चीन की राहुल गांधी में दिलचस्पी दिखाती है कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर राहुल में अभी भी रुचि और उम्मीद कायम है। राहुल इससे पहले भी दो बार चीन जा चुके हैं। चीन में प्रिंसेलिंग शब्द का इस्तेमाल होता है उन महत्वपूर्ण व्यक्तियों के लिए जो हाल या भविष्य में चीन के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं। राहुल को मौका है कि अपनी चीन यात्रा से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने आप को अच्छे ढंग से पेश कर सकें।

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