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रंगों के उचित प्रयोग से भी आती है खुशहाली

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 21 2015 4:29PM | Updated Date: Apr 21 2015 4:29PM
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प्रकृति एक इंद्रधनुष के समान है। रंग हमारी भावनाओं को दर्शाते हैं। हर रंग का जीव के मन और शरीर से बहुत गहरा संबंध होता है,  जैसे लाल रंग ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है। इसलिए शक्ति पूजा में अनार, गुड़हल के पुष्प, लाल वस्त्र इत्यादि लाल वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। ज्योतिषीय आधार से लाल रंग को देखें तो इस रंग से भूमि, भवन, साहस, पराक्रम के स्वामी मंगल ग्रह भी प्रसन्न रहते हैं। पीला रंग अहिंसा, प्रेम, आनंद और ज्ञान का प्रतीक है। 
 
 
श्री विष्णु और उनके अवतारों को पीताम्बर धारण करवाने का यह प्रमुख कारण है। यह रंग सौंदर्य और आध्यात्मिक तेज को तो निखारता ही है,  साथ ही इससे देव गुरु बृहस्पति भी प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं। नारंगी रंग लाल और पीले रंग से मिल कर प्रकट होता है तो इस तरह से इन दोनों रंगों का असर भी अपने अंदर समाहित करके चलता है। नारंगी रंग ज्ञान, ऊर्जा, शक्ति, प्रेम और आनंद का प्रतीक है। जीवन में इसके प्रयोग से मंगल और बृहस्पति की कृपा तो बनी ही रहती है, साथ ही सूर्य देव की भी असीम कृपा बरसती है। सफेद रंग शांति, पावनता और सादगी को दर्शाता है।
 
 
 
इस रंग के प्रयोग से चंद्रमा और शुक्र की कृपा बनी रहती है। मन की एकाग्रता व शांति के लिए यह रंग सर्वोपरि माना गया है। नीला रंग साफ-सुथरा, निष्पापी, पारदर्शी, करुणामय, उच्च विचार होने का सूचक है। नीला रंग श्री विष्णु, श्री राम, श्री कृष्ण, श्री महादेव के शरीर का है। नीला रंग विष को पीकर गले में रोक लेने की क्षमता रखने वाले भगवान शिव के गुण और भाव को प्रदर्शित करता है। जीवन में नीले रंग के प्रयोग से शनि की कृपा बराबर बनी रहती है। हरा रंग खुशहाली, समृद्धि, उत्कर्ष, प्रेम, दया, पावनता, पारदर्शिता का प्रतीक है। हरे रंग के प्रयोग से बुध की कृपा रहती है।
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