बर्लिन। जर्मन पुलिस जल्द ही एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित कर लेगी जिसकी मदद से लोगों के स्मार्टफोन को हैक किया जा सकेगा। इस सॉफ्वेयर के द्वारा व्हाट्सऐप जैसे एनक्रिप्टेड मैजेसिंग सर्विसेज के संदेश को भी पढ़ा जा सकेगा। इससे जुड़े एक कागजात के लीक होने के बाद यह खबर सामने आई है।
अभी तक व्हाट्सऐप और टेलिग्राम जैसी मैसेजिंग ऐप्स के संदेशों को पढ़ना काफी चुनौतीपूर्ण काम है। आतंकवाद की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर यह पुलिस के लिए काफी मददगार साबित होगा।
फिलहाल हैं कई सीमाएं
जर्मनी में पुलिस फिलहाल इस तकनीक की मदद से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की निगरानी करती है, लेकिन इसकी कई सीमाएं हैं। फिलहाल यह सॉफ्टवेयर कई सोशल मैजेजिंग ऐप्स के संदेशों को नहीं पढ़ पाता। जर्मनी के एक अखबार ने आंतरिक मंत्रालय की एक लीक हुई रिपोर्ट के आधार पर खबर दी है कि 2017 के अंत तक व्हाट्सऐप जैसी मैसेंजर सेवाओं को भेदना मुमकिन हो जाएगा। इससे पहले यह सॉफ्टवेयर केवल डेस्कटॉप कंप्यूटर्स की ही निगरानी रख पाता था।
निजी डॉटा भी देख सकेगी पुलिस
अब अपग्रेडेड सॉफ्टवेयर स्मार्टफोन्स, टैबलट्स, ब्लैकबेरी और एंड्रॉयड को भी हैक कर पाएगा। इस सॉफ्टवेयर की मदद से अब पुलिस विभाग सीधे यूजर की स्क्रीन को हैक करके उसके संदेशों को पढ़ सकेगा। पुलिस लोगों की चैटिंग, वीडियो रिकॉर्डिंग्स और निजी डेटा को भी देख सकेगी। कानूनन भी अब पुलिस को यह अधिकार देगा कि वह आपराधिक गतिविधियों और आतंकवाद में शामिल संदिग्धों के स्मार्टफोन्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की हैकिंग कर सके। लीक के मुताबिक, जर्मन पुलिस 2016 की शुरुआत से ही इस सॉफ्टवेयर को विकसित करने में जुटी थी।
यह टाइमिंग इसलिए मायने रखती है कि पुलिस को कानूनी तौर पर यह सॉफ्टवेयर विकसित करने की अनुमति काफी बाद में मिली। इसका मतलब कानूनी तौर पर हरी झंडी मिलने से पहले ही पुलिस और सिक्यूरिटी सर्विस ने इस संबंध में काम शुरू कर दिया था।
नेता-कार्यकर्ता कर रहे हैं विरोध
इस लीक के बाद जर्मन पुलिस की काफी आलोचना भी हो रही है। सामाजिक कार्यकर्ता और सियासी नेता इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार द्वारा निजता के अधिकार का उल्लंघन कर इस तरह की हैकिंग करने से लोगों की सुरक्षा भी प्रभावित होगी। जर्मन प्राइवेट पार्टी के एक नेता ने कहा कि पुलिस द्वारा सीधे लोगों के फोन को हैक किया जाना काफी गंभीर मामला है।
जर्मनी के अलावा ब्रिटेन, आॅस्ट्रिया, इटली जैसे कई देश भी सुरक्षा कारणों का हवाला देकर पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों को हैकिंग के कानूनी अधिकार देने की कोशिश कर रहे हैं।