नई दिल्ली। नेट न्यूट्रलिटी पर सरकार, विपक्ष, जनता व इंटरनेट कंपनियों के निशाने पर आई मोबाइल कंपनियों ने महंगी सेवाओं का डर दिखाना शुरू कर दिया है। कंपनियों ने कहा है कि उनकी बात नहीं मानी गई तो मोबाइल पर डाटा शुल्क छह गुना तक बढ़ाया जा सकता है। कंपनियों ने सभी को इंटरनेट से जोड़ने की सरकार की योजना व कार्यक्रम पर भी सवाल उठाए हैं।
मोबाइल कंपनियों के अनुसार, सरकार जिस शर्त पर नेट न्यूट्रलिटी लागू करने की बात कर रही है उससे इंटरनेट महंगा होगा। मोबाइल नेटवर्क का ढांचा तैयार करने में छह लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश हुआ है। सीओएआइ के डिप्टी चेयरमैन गोपाल विट्टल ने कहा-अगर इंटरनेट पर कॉलिंग या एसएमएस सेवा देने वाली कंपनियों के लिए नियम नहीं बने तो मोबाइल कंपनियों के लिए डाटा सेवा महंगा करने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।’
जीएसएम मोबाइल उद्योग के निकाय सीओएआई ने कहा कि ऑपरेटरों को सेवा की गुणवत्ता के लिहाज से विकास के समान अवसर सुनिश्चित करने, सरकार के साथ राजस्व सांझा करने और किसी आतंकी गतिविधि को रोकने के लिए संचार की निगरानी सुनिश्चित करने की जरूरत है लेकिन ये नियम इंटरनैट आधारित मैसेजिंग व कॉलिंग एप्लिकेशंस पर लागू नहीं होते।
सीओएआई के वाइस चेयरमैन व भारती एयरटेल इंडिया के प्रबंध निदेशक गोपाल विट्टल ने कहा कि यदि एक जैसे नियम लागू नहीं किए जाते हैं तो इस उद्योग के पास कारोबार में बने रहने के लिए एक ही उपाय है और वह है डेटा की दरें छह गुनी करना।
इंटरनैट सर्विस प्रवाइडर्स के निकाय आईएसपीएआई ने सुझाव दिया है कि दूरसंचार नियामक ट्राई को नैट निरपेक्षता को परिभाषित करने के लिए 'समान सेवाओं के लिए समान नियम' अपनाना चाहिए। साथ ही इस बात पर सहमति जताई कि कीमत या स्पीड के लिहाज से इंटरनैट तक पहुंच में किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। आईएसपीएआई ने ट्राई के परिपत्र पर भेजे अपने जवाब में यह कहा है।