- परीक्षित यादव
इंदौर। खेल, जुनून, दीवानगी, शोर और भीड़ को एक लफ्ज में बयां करना हो तो उसे फुटबॉल कहा जाएगा। इसके महाकुंभ का आगाज 14 जून से उस देश में हो रहा है जो क्षेत्रफल के लिहाज से दुनिया में सबसे बड़ा और आबादी के हिसाब से सातवें नंबर पर है। बात हो रही है रूस की जो भारत से पांच गुना बड़ा है। हर बार फुटबॉल विश्वकप में जितना चर्चा खेल और खिलाड़ियों का होता है उतना ही दूसरी चीजों का भी रहता है। सबसे ज्यादा बात हो रही है दो लड़कियों की।
एक हैं विक्टोरिया लॉपरेवा जिन्हे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ‘वर्ल्डकप गर्ल’ का तमगा दिया है। ये रूस की मशहूर मॉडल और टीवी एंकर हैं। मिस रूस भी रह चुकी हैं। विश्वकप का प्रमोट कर रही विक्टोरिया को रोज लाखों लोग सोशल मीडिया पर देख रहे हैं। दूसरी हैं पांच इंच की हील पहनकर फुटबॉल खेलने वाली फियोरेला कैस्टिलो, जिनका भारत से भी लगाव है और हाथ पर ऊँ का टैटू बनवा रखा है। लियोनेल मेस्सी की दीवानी हैं और सोशल मीडिया पर धूम मचा रखी है।
पैसों के लगने का आंकड़ा खर्च शब्द की परिभषा से आगे निकल चुका है अब तो इसे पैसा बहाना ही कहा जाएगा। इस आयोजन में 40 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा दांव पर लगे हैं। तोलने वालों को ये समझना होगा कि पैसे के मामले क्रिकेट इस खेल की ‘ठोकर’ के लायक भी नहीं है। क्रिकेट विश्वकप कि कुल ईनामी राशी 65 करोड़ रुपए के आस-पास होती है जबकि यहां 32वें नंबर पर रहने वाली टीम को 54 करोड़ रुपए मिलेगा। बाकि किसी आंकडें की चर्चा करना भी बेकार है। दीवानगी भी हद पार करने की तैयारी मे है।
दर्शकों के मामले पिछले पांच फीफा विश्व कप के आंकड़ों को देखें तो 1998 में फ्रांस में आयोजित विश्व कप में 44,676 लोग प्रति मैच स्टेडियम पहुंचे थे। तो वहीं जापान में 42,571, जर्मनी में 52,609, दक्षिण अफ्रीका में 49,499 और ब्राजील में 53,592 लोग स्टेडियम पहुंचे थे।
आसपास भी नहीं क्रिकेट
तोलने वालों को ये समझना होगा कि पैसे के मामले क्रिकेट इस खेल की ‘ठोकर’ के लायक भी नहीं है। क्रिकेट विश्वकप कि कुल ईनामी राशी 65 करोड़ रुपए के आस-पास होती है जबकि यहां 32वें नंबर पर रहने वाली टीम को 54 करोड़ रुपए मिलेगा। बाकि किसी आंकडें की चर्चा करना भी बेकार है।