19 Apr 2024, 13:42:29 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

रफी मोहम्मद शेख

इंदौर। कॉलेजों में स्कॉलरशिप के लिए विद्यार्थी गरीब बन रहे हैं। फर्जी आय सर्टिफिकेट में पैरेंट्स की कम आय दर्शा कर कई स्टूडेंट्स छात्रवृत्ति ले रहे हैं। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन इस पर रोक की सीधी और प्रभावी व्यवस्था नहीं है। सर्टिफिकेट के स्व-सत्यापन की छूट से फर्जीवाड़ा  बढ़ रहा है। कई मामलों में दस्तावेजों के साथ शिकायत के बाद संबंधित डिपार्टमेंट अब जांच कर रहा है। जानकारी के मुताबिक कई विद्यार्थियों ने माता-पिता की जो आय दर्शाई है, वास्तव में वह इससे पांच गुना ज्यादा है। यहां तक कि उच्च वेतन प्राप्त करने वाले कई सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों के बच्चे भी फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर स्कॉलरशिप ले रहे हैं। ऐसे कई मामले सामने के बाद कॉलेज और विभाग स्टूडेंट्स को जिम्मेदार ठहराकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
 

स्वसत्यापन से बढ़ेगा फर्जीवाड़ा
शासन ने इस साल से सर्टिफिकेट के लिए नया नियम लागू किया है। इसके अनुसार विद्यार्थी शपथ-पत्र द्वारा स्वसत्यापन के आधार पर आय घोषित कर सकता है। पहले यह तहसील कार्यालय जारी करता था। यानी जो आय विद्यार्थी ने घोषित कर दी है, वह अंतिम होगी। सबसे ज्यादा मामले पिछड़ा वर्ग के सामने आ रहे हैं। इसमें आय सीमा कम होने से फर्जीवाड़ा होता है।

नौकरी फिर भी स्कॉलरशिप
पिछड़ा वर्ग का दीपक एक निजी कॉलेज में बीकॉम सेकंड ईयर का विद्यार्थी है। वह दो साल से स्कॉलरशिप ले रहा है। उसने परिवार की आय 30 हजार रुपए बता रखी है। हकीकत यह है कि पिता के अलावा वह भी प्राइवेट संस्थान में 10 हजार रुपए महीने की नौकरी करता है। उसका सर्टिफिकेट भी तहसीलदार ने जारी  किया है।

पता पुलिस में, एक साल में आय आधी
मूसाखेड़ी निवासी छात्रा रीना के पिता सांवेर में पुलिस विभाग में पदस्थ हैं, लेकिन वह जीएसीसी में दो साल से फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर स्कॉलरशिप ले रही है। वर्ष 2013 में उसने पिता की आय 72 हजार और 2014 में तो सिर्फ 36 हजार दर्शाई। यह दोनों सर्टिफिकेट तहसीलदार द्वारा जारी किए गए।

कराए की आय का एक तिहाई बताया
जीडीसी की एक छात्रा ने आय 36 हजार बताई है। उसने पिता की यह आय खेती से बताई है, जबकि वे तृतीय वर्ग कर्मचारी हंै। इंदौर में उनका घर है और दो हिस्से किराए पर दिए हैं। इससे ही आय करीब एक लाख रुपए साल है। यह चार सालों से स्कॉलरशिप प्राप्त कर रही है।

जांच या सत्यापन की व्यवस्था नहीं
इस मामले में जांच या सत्यापन की कोई व्यवस्था नहीं है। न तो कॉलेज स्तर पर फॉर्म जमा होने की स्थिति में और न ही स्कॉलरशिप बांटने वाले विभाग के पास। ये केवल शिकायत आने पर कार्रवाई करते हैं। प्रस्तुत दस्तावेज सही या प्रामाणिक है इस पर किसी का ध्यान नहीं है। नौकरीपेशा पैरेंट्स के लिए विभाग से जारी सैलरी सर्टिफिकेट लगाना जरूरी होता है, लेकिन वे इसे लगाते ही नहीं हैं।

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