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यूनिवर्सिटी में शोध की शर्मनाक हालत - रिसर्च एंट्रेंस में सिर्फ दस फीसदी ही पास

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 30 2018 2:50PM | Updated Date: Jul 30 2018 2:50PM
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 - रफी मोहम्मद शेख
इंदौर। एक तरफ सरकार और यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन यूनिवर्सिटी में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए तमाम कोशिशें कर रहे हैं तो दूसरी तरफ यूनिवर्सिटीज में इसकी स्थिति बहुत खराब है। अच्छी रिसर्च करना तो दूर, अधिकांश विद्यार्थी इसकी एंट्रेंस परीक्षा पास करने में फिसड्डी साबित हो रहे हैं। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में एमफिल और पीएच-डी के आंकड़ों को देखें तो औसतन 45 प्रतिशत विद्यार्थी परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन तो करा लेते हैं, लेकिन परीक्षा ही नहीं देते हैं।  उधर, पास होने वाले विद्यार्थियों की संख्या मात्र 10 प्रतिशत है और 80 प्रतिशत विषयों में रिजल्ट 20 प्रतिशत से कम रहा है। 
 
देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी ने इस साल 45 विषयों में पीएच-डी की परीक्षा ली थी। इसमें कुल 3687 विद्यार्थियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। जब परीक्षा हुई तो इसमे मात्र 2592 विद्यार्थी ही आए, यानी 1195 विद्यार्थी परीक्षा देने ही नहीं आए। इसे प्रतिशत में देखा जाए तो 70.30 प्रतिशत विद्यार्थियों की उपस्थिति रही और करीब 30 प्रतिशत विद्यार्थी परीक्षा देने ही नहीं आए। इसके बाद जब परीक्षा का रिजल्ट आया तो स्थिति और भी बुरी हो गई। इसमें मात्र 383 विद्यार्थी ही उत्तीर्ण हो पाए। रजिस्टर्ड विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से मात्र 10.39 प्रतिशत विद्यार्थी ही परीक्षा पास कर पाए। वहीं, परीक्षा में शामिल विद्यार्थियों की संख्या के लिहाज से 14.77 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हो पाए।
 
पीएच-डी में रिसर्च स्थिति
कुल विषयों में एंट्रेस परीक्षा - 45
एक भी विद्यार्थी पास नहीं - 05 विषय
पांच प्रतिशत से कम रिजल्ट - 12 विषय
दस प्रतिशत से कम रिजल्ट - 07 विषय
20 प्रतिशत से कम रिजल्ट - 12 विषय
 
रजिस्टर्ड विद्यार्थी - 3687
पास होने वाले विद्यार्थी - 383
परीक्षा में शामिल नहीं - 29.70 प्रश
पास होने वाले विद्यार्थी - 10.39 प्रश
 
एमफिल में रिसर्च स्थिति
कुल विषयों में एंट्रेस परीक्षा - 23
एक भी विद्यार्थी पास नहीं - 05 विषय
पांच प्रतिशत से कम रिजल्ट - 03 विषय
दस प्रतिशत से कम रिजल्ट - 05 विषय
20 प्रतिशत से कम रिजल्ट - 05 विषय
 
रजिस्टर्ड विद्यार्थी - 724
पास होने वाले विद्यार्थी - 78
परीक्षा में शामिल नहीं - 60.78 प्रश
पास होने वाले विद्यार्थी - 10.77 प्रश
 
इन विषयों में कोई पास नहीं
इनमें पांच विषय एप्लाइड फिजिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, डाटा साइंस, इंस्ट्रूमेंटेशन और म्यूजिक ऐसे रहे, जिसमें एक भी विद्यार्थी परीक्षा में पास नहीं हुआ तो 12 विषयों में रजिस्टर्ड विद्यार्थियों के पांच प्रतिशत से कम विद्यार्थी ही परीक्षा पास कर पाए। वहीं, 10 प्रतिशत से कम रिजल्ट सात विषयों में आया तो 12 विषयों में 20 प्रतिशत से कम रजिस्टर्ड विद्यार्थी पास हुए।  इसमें मैनेजमेंट जैसे विषय भी शामिल हैं, जिनमें 564 में से मात्र 11 तो कम्प्यूटर साइंस के 272 में से चार विद्यार्थी पास हुए। 
 
60 प्रश विद्यार्थी परीक्षा देने ही नहीं पहुंचे
न केवल पीएच-डी, बल्कि एमफिल की स्थिति भी ऐसी ही रही है। हाल ही घोषित एमफिल की एंट्रेंस परीक्षा में कुल 724 विद्यार्थियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था लेकिन परीक्षा देने मात्र 39.22 प्रतिशत विद्यार्थी ही पहुंचे। 440 विद्यार्थी तो परीक्षा में ही शामिल नहीं हुए। इसके बाद जब रिजल्ट आया तो पांच विषय इनर्जी एंड इनवायर्नमेंट, होम साइंस, लाईफ साइंस, फिजिकल एजुकेशन और सायकोलॉजी विषय में एक भी विद्यार्थी पास नहीं हो पाया। वहीं तीन विषयों का रिजल्ट पांच प्रतिशत से कम, तो 5-5 विषयों का रिजल्ट क्रमश: 10 व 20 प्रतिशत से कम रहा। इस रिजल्ट को परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों की संख्या से भी मान ले तो मात्र 27.46 प्रतिशत रहा है।
 
पता चल रही है रिसर्चर्स की स्थिति
यह स्थिति यूजीसी द्वारा एंट्रेस शुरु करने के बाद हुई है। पहले पीएचडी या एमफिल में एडमिशन के लिए एंट्रेंस नहीं होती थी। सीधे आरडीसी के आधार पर एडमिशन होते थे। यूजीसी ने परीक्षा में पास होने के लिए 50 प्रश मार्क्स लाना भी जरूरी कर दिया है। गुणवत्ता के लिए किया गया यह प्रयोग रिसर्चर्स की वास्तविक स्थिति को उजागर कर रहा है। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में पिछले दो एंट्रेस परीक्षाओं में घोषित सीटों पर विद्यार्थियों की 25 प्रश संख्या भी भर नहीं पा रही है। पीएचडी सेल के चेयरमेन डॉ. वी.बी. गुप्ता के अनुसार हम लगातार परीक्षाएं आयोजित कर रहे है लेकिन विद्यार्थी इन्हें पास ही नहीं कर पा रहे हैं।
 
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