- कपिल राठौर
इंदौर। शहर में एक थाना ऐसा भी है, जिसे रिपोर्ट लिखाने दूसरे थाने जाना पड़ता है। दरअसल, ये थाना पुराने थाने की सीमा से बाहर ही नहीं निकल पाया है। इस कारण कानूनी अड़चनों से बचने के लिए यहां का सहारा लेना पड़ता है।
वाकया आजाद नगर थाने का है। यहां गोल चौराहे पर पुरानी चौकी के स्थान पर शासन ने थाने के लिए नई बिल्डिंग तैयार कर दी। थाने का स्टाफ यहां बैठने भी लगा। लॉकअप से लेकर हर सिस्टम तैयार हो गया, लेकिन थाने की सीमा उसके पड़ोसी पुश्तैनी थाने संयोगितागंज से दूर नहीं हो पाई। अगर आजाद नगर थाना परिसर में ही कोई घटना या हादसा हो जाए तो उसे संयोगितागंज थाने पर ही प्रकरण दर्ज कराना पड़ेगा। इससे जुड़ा एक मामला गुरुवार को सामने आया।
आजाद नगर थाने की दीवार से कुछ दूरी पर लगे निगम के हाईड्रेंट से पानी के टैंकर भराते हैं। यहां बुधवार रात ब्रजकुमार पिता हरीश पथरोड़ निवासी अजय बाग कॉलोनी ने ट्रैक्टर खड़ा किया था। दूसरे दिन सुबह ब्रजकुमार वहां पहुंचा तो ट्रैक्टर नहीं था। मामले में शिकायत करने वह आजाद नगर थाने गया, लेकिन उसे केस दर्ज कराने संयोगितागंज थाने भेजा गया। यहां पुलिस ने उससे आवेदन ले लिया, वहीं वायरलेस पर ट्रैक्टर का प्रसारण भी कर दिया।
एसआईटी के प्रमुख जस्टिस (सेवानिवृत्त) एमबी शाह ने गुरुवार को यहां कहा कि एसआईटी ने यह सिफारिश भी की है कि जब्ती के दौरान संबंधित सीमा से ज्यादा पाई जाने वाली राशि को सरकारी कोषागार में जमा कराया जाना चाहिए। नई सिफारिशें तब आईं जब पूर्व की सिफारिशों में नकद राशि के रूप में 15 लाख और 20 लाख रुपए तक रखने देने की सीमा को काफी कम पाया गया।
नक्शे में भी पड़ोसी थाने में मौजूद
पुराने थानों के अंतर्गत कई नए थानों का निर्माण कर दिया गया। कुछ थानों में नक्शे के हिसाब से सीमा बांट दी गई, लेकिन संयोगितागंज थाने के नक्शे में गोल चौराहे पर स्थित आजाद नगर थाना अभी भी उनके हिस्से में दिखाई देता है। पूर्व में ये पीटीसी के पास एक बिल्डिंग में संचालित हो रहा था। उस समय भी गोल चौराहे की सीमा संयोगितागंज थाने में ही आती थी। जब थाने की नई बिल्डिंग यहां बनी तो अधिकारियों ने इसमें परिवर्तन ही नहीं किया।
अपराधियों को लेकर है दिक्कत
दबंग दुनिया ने पूर्व में तिलक नगर, द्वारकापुरी और राऊ थाने को लेकर खबर प्रकाशित की थी। इसमें तीनों थानों के अपराधियों को रात में इकट्ठा कर पड़ोसी थाने की हवालातों मे रखवाना पड़ता था। वर्तमान में द्वारकापुरी थाने की नई बिल्डिंग का निर्माण तो किया जा रहा है, लेकिन आज भी तीनों थानो के आरोपी रात में अपने आसपास के थाने में ही रखे जाते हैं।