रफी मोहम्मद शेख-
इंदौर। देश में खेल और खिलाड़ियों के नाम पर एक ओर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, किंतु मध्यप्रदेश में इसके विकास के पहले चरण यानी स्कूल और कॉलेज की तरफ से खेलने वाले खिलाड़ियों की स्थिति बुरी है। स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और सरकार की नीति ऐसी है कि इन्हें नाश्ता, खाने आदि के लिए मिलने वाले मात्र 100 से 200 रुपए तक दैनिक भत्ता देने के बाद नेशनल में मेडल की अपेक्षा की जाती है। स्कूल से लेकर यूनिवर्सिटी तक विद्यार्थियों से मिलने वाली करोड़ों रुपए की फीस के बावजूद सालों से इसे बढ़ाने की मांग को नजरअंदाज करती रही है, जबकि अन्य प्रदेशों में इन्हें काफी अच्छी सुविधाएं दी जाती है।
कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों से स्पोर्ट्स फीस के रूप में एक निश्चित रकम ली जाती है। इसमें से कॉलेज 180 रुपए यूनिवर्सिटी को देता है। यूनिवर्सिटी में करीब दो लाख विद्यार्थी हैं और इस प्रकार साढ़े तीन करोड़ रुपए यहां एकत्रित होते हैं। यूनिवर्सिटी करीब 32 खेलों में खिलाड़ियों और टीमों का चयन कर राज्य, जोन और नेशनल लेवल की प्रतियोगिता में खेलने के लिए भेजता है।
खाना तो दूर नाश्ते में खर्च
यूनिवर्सिटी या संभाग की टीम में चयनित होने के बाद खिलाड़ी जब खेलने जाता है, तो उसे एक बार कैश अवॉर्ड यानी अपने खर्चों और तैयारियों के लिए 500 रुपए दिए जाते हैं। यह राशि न तो तैयारियों के लिए काफी है और न ही अन्य खेल के खर्चों के लिए। इसके बाद उसे प्रतिदिन 200 रुपए दिए जाते हैं। यह खर्च दोनों समय नाश्ते से लेकर दो समय खाने तक का होता है। प्रदेश के छोटे शहरों में तो फिर भी इस राशि से काम चल जाता है, लेकिन मेट्रो सिटीज में यह राशिा नाश्ते में ही खर्च हो जाती है।
निम्न क्वॉलिटी की सामग्री
ऐसी ही स्थिति स्कूल में है। यहां तो यूनिवर्सिटी से आधी राशि यानी 100 से 150 रुपए तक ही खिलाड़ियों को दी जाती है, जबकि यह राशि नाश्ते में ही पूरी हो जाती है।साथ ही उन्हें कोई कैश अवॉर्ड नहीं दिया जाता। कम राशि के कारण इन्हें निम्न क्वॉलिटी के सॉक्स, शूज, टीशर्ट व शर्ट दी जाती है। यूनिवर्सिटी हो या फिर स्कूल, खिलाड़ियों के ठहरने के लिए भी घटिया सुविधाएं मिलती हैं। रजाई-गद्दों के लिए इनसे अलग से राशि वसूली जाती है, जिसका भुगतान स्कूल या यूनिवर्सिटी से नहीं होता है।
शासन के निर्देशानुसार...
भत्ता और अन्य सुविधाएं प्रदेश शासन के निर्देशानुसार तय की जाती है। हम यूनिवर्सिटी स्तर पर भी इसे बदलने की कोशिश कर रहे हैं। अभी खिलाड़ियों को इसमें समस्या आती है।
- डॉ. सुनील दुधाले, प्रभारी डायरेक्टर, फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट
काफी समस्या आती है..
यह राशि काफी कम है। बड़े आयोजनों में तो खिलाड़ियों के लिए एक साथ भोजन भी बन जाता है, लेकिन छोटे दलों में तो काफी समस्या आती है। इसे बढ़ाने की कोशिश हो रही है।
- हेमंत वर्मा, प्रभारी
संभागीय संचालक, स्कूल खेल विभाग