- रफी मोहम्मद शेख
इंदौर। देअविवि में बेहतर खेल सुविधाओं के लिए करीब सात करोड़ रुपए की लागत के सिंथेटिक ट्रैक का काम लगभग पूरा हो गया, लेकिन ये विवि को ट्रांसफर नहीं हुआ है। इससे विद्यार्थी तो इसका उपयोग कर ही नहीं पा रहे हैं। साथ ही रखरखाव के अभाव में इसके खराब होने का डर भी है। इसके पीछे मूल कारण एक करोड़ रुपए बकाया हैं, जो ठेकेदार कंपनी को नहीं दिए गए हैं। ये राशि खेल मंत्रालय से आना है। मंत्रालय ने विवि को पहले दिए गए रुपए का पूरा यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट ही नहीं भेजा। इस कारण उसने ये राशि रोक ली है।
17 अप्रैल 2015 को तत्कालीन खेल मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने विवि में सिंथेटिक एथलेटिक्स ट्रैक का उद्घाटन किया था। विवि की खेल सुविधाओं और गतिविधियों में बढ़िया साख को देखते हुए भारत सरकार के खेल मंत्रालय ने अर्बन स्पोर्ट्स इन्फ्रॉस्ट्रक्चर स्कीम (यूएसआईएस) के अंतर्गत 13 अगस्त 2014 को खेल सुविधाओं के लिए 11.50 करोड़ रुपए की ग्रांट स्वीकृत की थी। विवि के फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट को दी गई इस ग्रांट के लिए एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज ने भी मंत्रालय को सिफारिश की थी। इस ग्रांट में से 5.50 करोड़ रुपए की लागत से सिंथेटिक एथलेटिक्स ट्रैक और फ्लड लाइट का निर्माण करना था।
एक करोड़ 41 लाख खुद मिलाए
इसके बाद 5.50 करोड़ रुपए में विवि ने भी राशि मिलाई है। इसके लिए खेल मंत्रालय ने शर्त रखी थी। पहले एक करोड़ 22 लाख रुपए इसमें विवि ने मिलाए। इसके बाद 19 लाख रुपए फिर स्वीकृत किए गए हैं। इस प्रकार इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत छह करोड़ 91 लाख रुपए हो गई है। ये ट्रैक करीब चार माह पहले ही तैयार हो चुका है। इसके बाद संबंधित ठेकेदार कंपनी को इसे विवि को ट्रांसफर कर देना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
एक करोड़ 11 लाख बाकी
इसके पीछे कारण ठेकेदार कंपनी को मिलने वाली राशि का पूरा भुगतान नहीं होना है। अभी तक ठेकेदार को एक करोड़ 11 लाख रुपए का भुगतान करना बाकी है। वास्तव में मंत्रालय ने सबसे पहले साढ़े तीन करोड़ रुपए की पहली किस्त भेजी थी। नियमानुसार विवि को अगली किस्त तभी दी जाती है, जब इस राशि के खर्च का यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट मंत्रालय को दिया जाता है। विवि ने ये राशि खर्च करने का सर्टिफिकेट भेज दिया तो दूसरी किस्त में एक करोड़ रुपए भेजे गए, लेकिन विवि ने 89 लाख रुपए खर्च करने का सर्टिफिकेट भेज दिया।
पूरी राशि का नहीं भेजा
मंत्रालय ने 11 लाख के खर्च का ब्योरा नहीं होने के कारण एक करोड़ रुपए की अंतिम किस्त का भुगतान रोक दिया। जब तक ये राशि ठेकेदार कंपनी को नहीं मिल जाती है, वह विवि को ये ट्रैक देने के लिए तैयार नहीं है। इस कारण विद्यार्थियों को इस ट्रैक पर प्रैक्टिस का मौका ही नहीं मिल पा रहा है। यहां तक कि विवि की एथलेटिक्स टीम भी बिना इस ट्रैक पर प्रैक्टिस किए बिना ही खेलने गई। वहीं दूसरी ओर इस कारण से इस ट्रैक का रखरखाव भी नहीं हो पा रहा है, जिससे इससे खराब होने का डर भी है। इसके लिए नियमित रूप से रखरखाव की जरूरत होती है।
अंतिम किस्त रोक रखी
11 लाख रुपए के कम यूसी के कारण मंत्रालय ने अंतिम किस्त रोक रखी है। हमने वो भी अब भेज दी है। राशि आने का इंतजार है। उसके बाद ही ये ट्रांसफर हो पाएगा।
- डॉ. सुनील दुधाले, प्रभारी डायरेक्टर - फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट