रफी मोहम्मद शेख इंदौर। कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर या लेक्चरर की नौकरी के लिए अब नेशनल एलिजिबिलिटी परीक्षा (नेट) उत्तीर्ण होना जरूरी हो गया है। आपके पास चाहे पीएच-डी हो या एमफिल उत्तीर्ण हों, बिना नेट या स्लेट के आप असिस्टेंट प्रोफसर नहीं बन सकेंगे। यूजीसी द्वारा 2009 के पूर्व के एमफिल-पीएच-डी धारकों को दी गई नेट से छूट अब खत्म हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के हाल के इस निर्णय के बाद इसके लिए नए समीकरण बन गए हैं। नए नियम बनाने के बाद यूजीसी ने 2009 के पूर्व के एमफिल व पीएच-डी करने वालों के लिए नेट परीक्षा अनिवार्य कर दी गई। इसके बाद मचे हंगामे और कोर्ट में मामला जाने के बाद इस छूट को वापस बरकरार रखने के निर्देश दिए गए। इस निर्णय में मानव संसाधन मंत्रालय भी शामिल रहा। अब सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस टीएस ठाकुर और आरएस नरीमन की खंडपीठ ने यूजीसी का पुराना निर्णय बरकरार रखते हुए छूट खत्म कर दी है।
नए नियम वालों को अभी भी छूट
इस निर्णय के बाद अब नए नियमों से एमफिल या पीएच-डी करने वालों को असिस्टेंट प्रोफेसर और लेक्चरर की नियुक्ति में छूट मिलती रहेगी। हालांकि स्थायी नहीं होने से यूजीसी ये छूट कभी भी वापस ले सकती है। इसमें नेट उत्तीर्ण होना अनिवार्य शर्त है। नए नियमों में परीक्षा के माध्यम से प्रवेश, समयस मय पर मूल्यांकन, कोर्स वर्क की अनिवार्यता जैसे कई नियम बनाए गए हैं। केवल नेट क्वालीफाई भी इस नौकरी के लिए योग्य माना जाएगा।
स्लेट का बढ़ेगा क्रेज, नई भर्तियों पर संशय
इस निर्णय के बाद अब नेट के साथ ही स्लेट का भी क्रेज बढ़ेगा। मप्र में सालों बाद स्लेट कराने की तैयारी की जा रही है। ये परीक्षा नेट के मुकाबले आसान मानी जाती है और कई प्रदेश आयोजित कर रहे हैं। प्रदेश में नेट के चलते इसे नहीं कराने का निर्णय लिया गया था। इस निर्णय से प्रदेश में होने वाली असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती पर भी संशय है, क्योंकि यहां ऐसे किसी नियम का सरकार पालन नहीं कर रही है। उसने केवल नेट व पीएच-डी धारकों को प्राथमिकता और अतिरिक्त अंक दिए हैं।
क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ावा
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से निश्चित ही क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ावा मिलेगा। नए नियमों में नेट से छूट है, लेकिन ये कभी भी वापस ली जा सकती है, इसलिए सभी को नेट या स्लेट को प्राथमिकता देना चाहिए।
- डॉ. गणेश कावड़िया,
वरिष्ठ प्राध्यापक