28 Mar 2024, 23:25:59 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

अभिषेक दुबे रायपुर। चौंकाने वाली हकीकत है कि कस्टम मिलिंग के लिए राइस मिलरों ने जितना धान उठाया था, उसके एवज में लौटाए जाने वाला चावल का एक बड़ा हिस्सा अब भी सरकार को वापस नहीं मिला है। खरीफ वर्ष 2014-15 में 103 राईस मिलरों को धान उठाव की अनुमति कस्टम मिलिंग के दी गई थी। इसमें से 35 हजार 54 मीट्रिक टन धान के बदले चावल अब तक नहीं लौटाया गया। इसके अलावा कस्टम मिलिंग के बाद जमा किए जाने वाले 17 हजार 581 मीट्रिक टन चावल की वापसी भी शेष है। जिसकी अनुमानित कीमत 6057 लाख रुपए से ज्यादा है।

नान घोटाले से अलग नहीं है मामला
कांग्रेस ने मिलर्स के पास करोड़ों के बंधक चावल को नान मामले से जोड़ते हुए कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से मोटी रकम की बंदरबांट किन-किन माध्यमों से हो सकती है, इसका एक उदाहरण कस्टम मिलिंग भी है। सरकार को चाहिए कि मिलर्स के खिलाफ भी जांच कराई जाए। उन्होंने आरोप लगाया दीगर प्रांत के मिलर्स को भी कस्टम मिलिंग के लिए हजारों मीट्रिक टन धान दी गई है, लेकिन उनसे वसूला नहीं जा सका है, यह सब इसलिए संभव है, क्योंकि सरकार की मांद में रहकर कुछ लोग निज स्वार्थ के चलते मिलरों को संरक्षण दे रहे हैं।

विस में उठे हैं सवाल
कस्टम मिलिंग और सरकार को हर साल होने वाले नुकसान को लेकर बजट सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने सवाल लगाया था, इनके अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भूपेश बघेल भी खाद्यमंत्री से इस संदर्भ में सवाल पूछ चुके हैं, लेकिन सदन में संतोषजनक जवाब नहीं मिलने की वजह से विपक्ष ने जमकर बवाल मचाया था। कांग्रेस का कहना है कि मिलर्स को नाजायज लाभ पहुंचाए जाने, इस तरह की गतिविधियों पर चुप्पी साध ली जाती है।

कराई गई है एफआईआर
इस मामले में आंध्रप्रदेश के वैंकेटश्वरा राईस इंडस्ट्रीज से 67 लाख का 2669 टन चावल जमा कराया जाना शेष है, जिसके चलते कुल 23 मिलर्स के खिलाफ एफआईआर कराई जा रही है, वहीं 29 मिलर्स के खिलाफ अपर कलेक्टर न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन है। इसके अलावा अन्य मिलर्स के रिकार्ड भी निकाले जा रहे हैं, इसके बाद जैसी स्थिति बनती है, उसके मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।
- पुन्नूलाल मोहले, खाद्यमंत्री
 

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