- रफी मोहम्मद शेख
इंदौर। पिछले दो साल से लगातार परिवर्तनों और प्रयोगों के बाद बावजूद देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के मूल्यांकन सेंटर में अनियमितताओं खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। खासकर मेडिकल परीक्षाओं के रिजल्ट और फर्जीवाड़े की शिकायतें आम हो गई है। एमबीबीएस की कॉपियां सेंटर से बाहर जाने, चोरी होने और बदलने के बाद अब ताजा मामला बीडीएस की परीक्षा का आया है। इसमें कुछ कॉपियां गुम हो गई थी। पिछले कई दिनों से यह नहीं मिल रहा था। बाद में जब दबाव बनाया गया तो बमुश्किल यह बंडल एक निजी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स के पास मिला, जो उन्होंने दबा लिया था। उन्होंने आपस में ही इन कॉपियों को एक-दूसरे को ट्रांसफर कर दिया। साथ ही बंडल पर लिखी गई पूरी जानकारी भी मिटा दी गई।
जानकारी के अनुसार तीन महीने बैचलर ऑफ डेंटल साइंस (बीडीएस) सेकंड ईयर की परीक्षाएं हुई थी। इसके बाद इनकी कॉपियों को कोडिंग और डीकोडिंग यानी रोल नंबर हटाकर नई कोडिंग के साथ विभिन्न प्रोफेसर्स को जांचने के लिए भेजी गई। इसमें कई कॉपियां इंदौर से बाहर के मेडिकल कॉलेजों में भी भेजी गई।
नहीं मिली कॉपियां
इसी बीच मेडिकल संकाय के ओएसडी का प्रभार किसी अन्य को दे दिया गया। वही अधिकांश प्रोफेसर्स ने अपनी कॉपियां जांचकर यूनिवर्सिटी को लौटा दी लेकिन जब रिजल्ट निकालने की बारी आई तो एक बंडल के नंबर नहीं मिले। इससे हड़कंप मच गया। जब इसके बाद इनकी कॉपियों के बारे में सभी स्थानों पर पूछा गया तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर कर दी। इन कॉपियों को ढूंढने के लिए मूल्यांकन सेंटर में अभियान चलाया गया और सारी कॉपियां छान ली गई लेकिन यह बंडल नहीं मिला। इसके बाद मूल्यांकन सेंटर के कर्मचारियों की मिलीभगत मानी गई।
25 अगस्त को भेजा था
उधर विद्यार्थी बार-बार यूनिवर्सिटी में रिजल्ट निकालने के लिए प्रदर्शन कर रहे तो आरएनटी मार्ग स्थित अधिकारियों ने जल्दी रिजल्ट निकालने का दबाव बनाया। इधर बंडल ही गायब होने के बाद पुराना रिकार्ड खंगाला गया तो यह बंडल अन्य कॉपियों के साथ अरबिंदो डेंटल कॉलेज के एक प्रोफेसर डॉ. सरन को दिया गया था। यह बंडल उन्हें 25 अगस्त को भेजा गया था। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने अपने पास कॉपियां होने से इंकार कर दिया। उनके अनुसार उन्होंने बिना जांचे यह लौटा दी थी।
किसी के पास इंट्री नहीं
इससे पुराने प्रकरण की तरह यह कॉपियां गुम होने का अंदेशा गहरा गया। क्योंकि यह कॉपियां किसके पास है इसकी किसी के पास कोई इंट्री नहीं थी। उधर इसके बाद जब मूल्यांकन सेंटर ने अरबिंदो मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स के बीच मौजूद अपने सूत्रों को सक्रिय किया तो मालूम हुआ कि यह बंडल वहीं पर है। मालूम पड़ा कि डॉ. सरन से यह कॉपियां लेकर दो अन्य डॉक्टर्स को जांचने के लिए दे दी गई थी। इन्होंने भी कॉपियां न तो जांची और न ही किसी को सूचना दी। इसके बाद इनसे कॉपियां बमुश्किल वापस ली गई और अब चौथे डॉक्टर को जांचने के लिए दी गई है।
कोड नंबर आदि मिटाया
खास बात यह है कि इस बंडल पर ऊपर लिखी गई पूरी जानकारी मिटी दी गई है। यहां तक कि यह किसे अलॉट किया गया, कब भेजा गया, कोड नंबर आदि कुछ मिटा दिया गया। इन्हें हटाकर इसके पीछे कलाकृतियां बनी दी गई। अब जब तक यह कॉपियां जंचकर वापस नहीं आ जाती है तब तक रिजल्ट नहीं निकाला जा सकता है। उधर इस सारे प्रकरण में मूल्यांकन सेंटर के अधिकारियों और ओएसडी के आपसी मनमुटाव और मिलीभगत की बात सामने आ रही है। पूरी योजना यह कॉपियां दबाने की थी लेकिन बमुश्किल यह मिल गई है।