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गिरदावरी ऐप बना पटवारियों के लिए परेशानी का कारण

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 3 2017 2:12PM | Updated Date: Oct 3 2017 2:12PM
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-अनिल धारवा

इंदौर। प्रदेश सहित जिले में इन दिनों पटवारी गिरदावरी ऐप के माध्यम से फसलों की जानकारी दर्ज कर रहे हैं, किंतु इस ऐप में नेटवर्क से लेकर किसानों के मोबाइल नंबर परेशानी का कारण बन रहे हैं। मैदान में आ रही परेशानियों को लेकर मंगलवार को पटवारी संघ कलेक्टर निशांत वरवड़े से मुलाकात करेगा। ऐप में दर्ज करने के बाद भी पटवारियों को तीन जगह काम करना पड़ रहा है। दरअसल, शासन ने खरीफ व रबी की फसल गिरदावरी की जानकारी ऐप के माध्यम से दर्ज करना का फरमान जारी कर दिया है। इसके लिए बकायदा प्रदेशभर में पटवारियों सहित आरआई और तहसीलदारों को ट्रेनिंग भी दी गई। हालांकि ट्रेनिंग के दौरान इंदौर जिले के पटवारियों ने कुछ व्यवहारिक परेशानियों की और ट्रेनर का ध्यान आकर्षित किया, किंतु परेशानी दूर तो नहीं हुई और अधिक बढ़ गई। अब जब पटवारियों ने मैदान संभाल लिया, तो दिक्कतों ने भी उनका पीछा पकड़ लिया। 
 
साल में दो बार होती है फसल गिरदावरी प्रक्रिया
देश में साल में दो बार फसल गिरदावरी प्रक्रिया होती है। गिरदावरी में खेत की जानकारी, कितने रकबे में कितनी और कौन सी फसल बोवनी की है, इसकी जानकारी प्राप्त कर भू-अभिलेखों दर्ज होती है। आंकड़ों के आधार पर जिले का रकबा पता चलता है। प्राकृतिक आपदा के समय प्रभावित किसान को मुआवजे के समय यह रिपोर्ट उपयोगी हो जाती है। अब तक गिरदावरी पटवारियों द्वारा कागजों में दर्ज की जाती थी। अब फसलों की निगरानी गिरदावरी ऐप के माध्यम से होना शुरू हो गई। 
 
ये है गिरदावरी ऐप
किसान ने कितने रकबे में कौन-सी फसल की किस सीजन में बोवनी की। इसकी जानकारी पटवारी द्वारा शासन के दस्तावेज में दर्ज कराई जाती है और यह दस्तावेज भू-अभिलेख विभाग रिकॉर्ड में दर्ज कर शासन को पहुंचाता है। 
 
कैसे काम करेगा 
पटवारी मौके पर पहुंचकर फसल गिरदावरी ऐप पर संबंधित किसान का नाम, सर्वे व मोबाइल नंबर दर्ज करेगा। खेत में बोई फसल की जानकारी दर्ज ऐप में डाउनलोड करेगा। इसी दौरान किसान के मोबाइल पर दर्ज की जा रही फसल की जानकारी के साथ ओटीपी आएगा। मैसेज में अगर फसल सही दर्ज है, तो किसान पटवारी को ओटीपी देगा। उक्त ओटीपी को पटवारी ऐप में दर्ज करेगा और फसल की जानकारी ऑनलाइन दर्ज हो जाएगी। 
 
किसका नंबर करें दर्ज
मैदानी अमले के सामने ओपीटी, मोबाइल नंबर की परेशानी के साथ ही सरकारी जमीन और स्कीम की जमीनों को लेकर भी बड़ी परेशानी आ रही है। जिले में सरकारी जमीन पर ऐप में किस अधिकारी का नंबर दर्ज करें, इसके लिए कलेक्टर या वरिष्ठ अफसरों की ओर से कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं हुए है। वहीं स्कीम यानी आईडीए, हाउसिंग बोर्ड या अन्य विभागों की जमीन के मामले में भी इसी प्रकार की परेशानी आ रही है। 
 
ओटीपी नंबर से हो रही दिक्कत 
जानकारी के अनुसार मैदानी अमले के सामने सबसे बड़ी दिक्कत नेटवर्क की आ रही है, ग्रामीण क्षेत्रों में कई जगह नेटवर्क नहीं मिल रहा है। इसके आलावा सबसे बड़ी परेशानी ओटीपी नंबर है। अधिकांश किसानों के पास मोबाइल तो है, किंतु वे इसके ज्यादा जानकार नहीं होते हैं। ऐसे में फसल की जानकारी पटवारी ऐप पर दर्ज करता है, तो किसान के पास ओपीटी नंबर आता है, किंतु किसान यह नंबर ही नहीं दे रहे हैं। दूसरी बड़ी परेशानी किसानों के मोबाइल नंबर। इस ऐप में किसान के मोबाइल नंबर या आधार नंबर जरूरी होता है, किंतु कई किसानों के पास मोबाइल नहीं है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में किसान की जमीन तो है, किंतु वे अन्य जिले या तहसील में रह रहे है। ऐसे में पटवारियों को उनसे संपर्क करने में भी दिक्कत आ रही है। 
 
अब तीन जगह करना पड़ रही लिखा पढ़ी
दरअसल, इस ऐप से पहले पटवारी गिरदावरी का काम कागजों पर करते थे, किंतु पारदर्शिता लाने के चलते शासन ने ऐप के माध्यम से ऑनलाइन काम शुरू कराया। इसके बाद भी पटवारियों को कागजों पर भी काम करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, ऑनलाइनकम्प्यूटर में दर्ज करने के लिए कम्प्यूटर शाखा में भी जाना पड़ रहा है, जो काम पहले एक बार में हो रहा है। वह अब तीन बार 
करना पड़ रहा है। 
 
आज कलेक्टर से मिलेगा पटवारी संघ
जिले में मैदानी अमले को आ रही दिक्कतों को लेकर पटवारी संघ कलेक्टर निशांत वरवड़े को एक ज्ञापन सौंपने जा रहा है, जिसमें मैदान में आ रही दिक्कतों को दूर किए जाने का निवेदन किया जाएगा। 
देवेंद्र श्रीवास्वत, जिला अध्यक्ष, पटवारी संघ
 
पहले प्राइवेट लैंड दर्ज करें
हमने पटवारियों को निर्देशित किया है कि पहले प्राइवेट लैंड को दर्ज करें, इसके बाद सरकारी लैंड। जल्द ही सरकारी जमीनों के मामले में अफसरों के नंबर दिए जाएंगे। दिक्कतों को जल्द दूर किया जाएगा। फिलहाल काम चल रहा है। 
निशांत वरवडे, कलेक्टर
 
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