- मुकेश विश्वकर्मा
भोपाल। प्यासी जनता को पानी पिलाने के नाम पर लूटा गया, ठगा गया है। यहां आपको बता दें कि बुंदेलखंड पैकेज के तहत तीन साल पहले नल-जल योजना नाम से सौ करोड़ रुपए मंजूर किए गए थे। योजना के लिए बाकायदा पैसा आया और खर्च भी हो गया। लेकिन लोगों के गले तर होने की बात छोड़िए , हकीकत यह रही कि नल की टोंटी से पानी की एक बूंद तक नहीं टपकी। विभागीय जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि 100 करोड़ रुपए की इस योजना में 78 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। इसकी जानकारी लगते ही पीएचई मंत्री कुसुम महदेले हरकत में आर्इं और और कहा कि 78 करोड़ रुपए का क्या हुआ, बुंदेलखंड पैकेज से बुंदेलखंड से पानी कहां गायब हो गया। इस बात का जवाब अफसर नहीं दे पाए।
उसी दौरान समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नल-जल योजना में हुए घोटाले पर पीएचई मंत्री कुसुम मेहदेले से कहा था कि आप ही मामले को देखिए, जो भी दोषी हों, उन पर कठोर कार्रवाई करिए। लेकिन उक्त बैठक के बाद तीन महीने तक जीएडी ने मामले की फाइल को दबाए रखा। और दोषियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के लिए मंजूरी नहीं दी। जब मामला ज्यादा गर्मा गया तो हाईकोर्ट के आदेश पर दिसंबर 2014 में मुख्य सचिव अंटोनी डिसा ने उच्च स्तरीय जांच के लिए कमेटी गठित की। रिपोर्ट के मुताबिक योजना के कामों में शुरु से आखिरी तक गड़बड़ियां मिली। 1 हजार 269 गांवों में जांच के दौरान जो 272 योजनाएं चालू मिलीं उनसे भी मामूली पानी मिला और बिना पानी के ही 78 करोड़ डूब गए इसकी रिपोर्ट 31 मार्च को सौंपी गई। अब देखना यह है कि विभाग कब तक दोषियों पर कार्रवाई करता है और बुंदेलखंड की जनता को कब पानी मुहैया करता है।
कितनी मिली थी स्वीकृति: गौरतलब है कि बुंदेलखंड पैकेज में दतिया में 58 , सागर में 350 , छतरपुर में 150, टीकमगढ़ में दो सौ, पन्ना में 280 और दमोह में 250 योजनाएं , कुलमिलाकर 1269 योजनाएं स्वीकृत की थीं। लेकिन वर्तमान में 90 प्रतिशत योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट के चलते बंद हो गई।
क्या है मामला
इस मामले में तत्कालीन पीएचई मुख्य अभियंता एके कश्यप ने अपना पक्ष रखते हुए स्पष्ट किया था कि बुंदेलखंड पैकेज के तहत तीन साल पहले मंजूर नल-जल योजनाओं में सौ करोड़ रुपए खर्च हो गए, लेकिन किसी भी नल से पानी की बूंद नहीं टपकी है। विभागीय जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि 100 करोड़ रुपए की इस योजना में 78 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। मैं कैसे जिम्मेदार हो सकता हूं, कायर्पालन यंत्री ने काम कराया। अधीक्षण यंत्री परीक्षण करते हैं। सांसद-विधायकों ने गांव बताए। डामोर (प्रमुख अभियंता) ने खुद 11 करोड़ के पाइप खरीदने की अनुमति दी। इस पूरे प्रकरण में प्रशासकीय मंजूरी दे दी गई थी।
इनका कहना
सभी मामले में हर तरफ से जांच की गई जिसमें घोटाले की बात सामने आई है। इस मामले में एलयूएन की पर भी सवाल उठे हैं और जांच में दोषी बनाया गया है। हमने सामान्य प्रशासन विभाग को रिपोर्ट सौंप है, वे आगे की कार्रवाई करेंगे।
-एचएन गोलाइत, जांच कमेटी के अध्यक्ष
जांच पूरी हो गई है, जो दोषी अफसर होंगे उनपर कार्रवाई की जाएगी। मैं खुद नल जल योजना की मॉनीटरिंग करुंगी तथा बुंदेलखंड की जनता को जल्द ही पानी मिलेगा।
कुसुम महदेले, पीएचई मंत्री