19 Apr 2024, 18:08:39 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

- विनोद शर्मा
 
इंदौर। साक्षी गृह निर्माण सहकारी संस्था ने सदस्य बनाया। सदस्यता शुल्क और अन्य शुल्क वसूले। लसूड़िया मोरी में जमीन खरीदी। पुष्प वाटिका के नाम से कॉलोनी काटी। जमीन के बाजार भाव बढ़ते ही संस्था अध्यक्ष रमेश पिता गिरधरगोपाल नागर ने प्लॉट देने के नाम पर हाथ खड़े कर दिए। मंगलवार को यह शिकायत कलेक्टर की मौजूदगी में हुई जसनुवाई के दौरान पीड़ित उमा चावला ने की। 
 
सिर्फ ओल्ड पलासिया निवासी श्रीमती चावला अकेली नहीं हैं, जो संस्था से एमआर-11 स्थित पुष्प वाटिका में अपने प्लॉट की लड़ाई लड़ रही हैं। ऐसे कई लोग हैं। इससे पहले भी पीड़ितों की शिकायत पर लसूड़िया पुलिस ने राणी सती गेट निवासी संस्था के सर्वेसर्वा महेश उर्फ पप्पू पिता नवनीतलाल गुजराती और 11 बंगला (56 दुकान) निवासी संस्थाध्यक्ष रमेश नागर के खिलाफ केस दर्ज किया था। दोनों को गिरफ्तार कर पुलिस जेल भी पहुंचा चुकी है। कुछ दिन पहले ही ये बाहर आए हैं लेकिन बाहर आते ही दोनों ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। 

शुल्क लिया, विकास नहीं किया 
उमा चावला ने शिकायत करते हुए बताया कि दस एकड़ की कॉलोनी है। मुझे प्लॉट नं. 30 आवंटित किया था, जिसका क्षेत्रफल 5450 वर्गफीट था। गुजराती और नागर ने आश्वस्त किया था कि कॉलोनी का विकास दो साल में पूरा हो जाएगा। कहा कि यह इंदौर की सर्वश्रेष्ठ कॉलोनी होगी। 12 साल हो चुके हैं, लेकिन अब तक कोई विकास नहीं हुआ है, जबकि विकास शुल्क भी लिया गया। 
 
1998 में काटी थी कॉलोनी
साक्षी गृह निर्माण सहकारी संस्था पंजीबद्ध (डीआर/ आईडीआर/633)  20 सितंबर 1996 को हुई थी। इसका पंजीबद्ध पता 10 सांघी कॉलोनी है। संस्थाध्यक्ष रमेश नागर हैं। संस्था ने पंजीयन के दो साल बाद 1998 में पुष्प वाटिका कॉलोनी काटी थी। इस कॉलोनी में करीब सौ प्लॉट है। 

इनकी शिकायत पर गए थे जेल 
अटल राय और उनकी पत्नी भावना ने पांच-पांच हजार वर्गफीट के दो प्लॉट लिए थे। 4.78 लाख रुपए की कीमत भी चुकाई। विकास होने पर 50 हजार और देना थे। पैसे लेकर दोनों प्लॉट की रजिस्ट्री भी कर दी। मार्च 2000 तक कॉलोनी का डेवलपमेंट पूरा होना था, जो अब तक नहीं हुआ है। कॉलोनी का डायवर्शन तक नहीं हुआ है। 
 
पुलिस से हो गई सेटिंग, आठ महीने से चालान नहीं
मामले में नागर और गुजराती की सेटिंग हो चुकी है। प्लॉटधारकों का आरोप है कि पुलिस ने केस दर्ज करके दोनों को जेल पहुंचा दिया था। बाद में दोनों को जमानत भी मिली। हालांकि दोनों के बाहर आने की खुशी दोनों के परिवार से ज्यादा पुलिस को हुई। शायद यही वजह है कि आठ माह बाद भी पुलिस मामले में चालान पेश नहीं कर पाई। हमारा मकसद सिर्फ केस दर्ज कराना नहीं है। हमें इन्साफ चाहिए, जो दिलाने में पुलिस आनाकानी कर रही है। 
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