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एक ही टेस्ट के अलग-अलग रेट वसूल रही मेडिकल लैब, क्यों?

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 21 2017 7:00PM | Updated Date: Aug 21 2017 7:03PM
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- पंकज भारती

इंदौर। विभिन्न प्रकार की मेडिकल टेस्ट के नाम पर डायग्नोस्टिक सेंटर और प्राइवेट अस्पताल जनता की जेब काट रहे हैं। डायग्नोस्टिक इंडस्ट्री के लिए कोई रेग्यूलेशन नहीं होने से एक ही जांच की ये मनमाने ढंग से अलग-अलग फीस तय कर लेते हैं। हालांकि, मई 2017 में केंद्र सरकार ने मेडिकल जांच और अस्पतालों में होने वाली प्रोसिजर की कीमतें तय करने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था और राज्यों को निर्देश दिए थे कि वे मेडिकल टेस्ट की न्यूनतम व  अधिकतम फीस तय करें। साथ ही सुनिश्चित करें कि कोई भी डायग्नोस्टिक सेंटर मरीजों से तय फीस से अधिक राशि वसूल नहीं करे। प्रदेश सरकार को एक प्रकार से नियामक का गठन कर मेडिकल टेस्ट की कीमतों पर अंकुश लगाना था।

इस नोटिफिकेशन के जारी होने के तीन माह बाद भी मप्र सरकार इस दिशा में कछुआ चाल से काम कर रही है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का कहना है केंद्र से निर्देश मिलने के बाद इस पर काम किया जा रहा है। यह काम कब तक पूरा होगा, इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री का कहना था कि कोई समय सीमा तय नहीं है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी इस मामले में प्रदेश सरकार के आदेश के बाद ही कोई कार्रवाई करने की बात कही है। दूसरी तरफ प्राइवेट अस्पतालों और जांच सेंटरों में खुली लूट जारी है।

हर सेंटर पर बदल जाते हैं रेट

एक ही जांच की फीस हर सेंटर अपने हिसाब से तय करता है। महंगी मशीनों और इन्फ्रास्ट्रक्चर का हवाला देकर सेंटरों द्वारा सामान्य जांच खर्च के मुकाबले तीन से चार गुना फीस वसूली जाती है। एक सामान्य-सी जांच है लिपिड प्रोफाइल टेस्ट, जिसमें खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा जांची जाती है। सरकार के अनुसार इस प्रक्रिया पर खर्च 200 रुपए से अधिक नहीं आता है, लेकिन इंदौर के डायग्नोस्टिक सेंटरों पर इसकी शुरुआत ही 500 रुपए से होती है। सुभाष मार्ग स्थित जेब्यून डायग्नोस्टिक सेंटर में इसके 700 रुपए लगते हैं। वहीं रेसकोर्स रोड स्थित सोडानी डायग्नोस्टिक सेंटर में 600 रुपए फीस है। जबकि यही जांच सपना संगीता रोड स्थित निदान पैथोलॉजी में 500 रुपए में हो जाएगी।

70 फीसदी हिस्सा पैथोलॉजी लैब का

इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन के अनुसार देश में डायग्नोस्टिक इंडस्ट्री का कारोबार 52 हजार करोड़ रुपए का है और हर साल इसमें 15 फीसदी बढ़ोतरी हो रही है। डायग्नोस्टिक उद्योग में 70 फीसदी हिस्सा पैथोलॉजी लैब का है। एसोसिएशन के अनुसार सरकार की ओर से इस इंडस्ट्री को कोई छूट नहीं मिलती है। अच्छी क्वालिटी की मशीनें विदेशों से मंगवानी पड़ती हैं, जो काफी महंगी होती हैं। इस कारण हर सेंटर अपने हिसाब से विभिन्न टेस्टों की कीमत तय करते हैं। देश में एक लाख से अधिक डायग्नोस्टिक सेंटर्स का संचालन किया जा रहा है। 

एक सेंटर पर 1200 रुपए तो उसी जांच का दूसरे सेंटर पर 2900 का रेट

जांच की फीस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होने से एक ही जांच की कीमत हर सेंटर पर अलग-अलग है। प्रत्येक सेंटर अपने हिसाब से जांच की कीमत तय करता है। महंगी मशीनों और इन्फ्रास्ट्रक्चर का हवाला देकर जांच सेंटरों द्वारा सामान्य जांच खर्च के मुकाबले तीन से चार गुना कीमत वसूली जाती है। विटामिन-डी की जांच अन्नपूर्णा रोड स्थित संकेट डायग्नोस्टिक्स पर 1200 रुपए में होती है, इसी जांच के लिए रेसकोर्स रोड स्थित सोडानी डायग्नोस्टिक सेंटर 2000 रुपए ले रहा है, जबकि स्कीम नंबर 78 स्थित मेडिक्योर पैथलैब में इस जांच के लिए 2900 रुपए शुल्क है।

मरीजों पर दोहरी मार

इस सेक्टर के बड़े कार्पोरेट प्लेयर तो क्वालिटी का ध्यान रखकर इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करते हैं, लेकिन छोटे सेंटर इस ओर ध्यान नहीं देते। कई छोटे सेंटर सस्ती और सेकंड हैंड मशीनों से काम चलाते हैं। ऐसे में मरीज पर दोहरी मार पड़ती है, एक तो खर्चा अधिक और सही रिजल्ट नहीं मिला तो गलत इलाज। डॉक्टर्स के अनुसार किसी भी बड़ी बीमारी का इलाज टेस्ट रिपोर्ट पर निर्भर होता है। कई बार डॉक्टरों को खुद लगता है कि जांच रिपोर्ट गलत आई है तो वह मरीज को दोबारा किसी अन्य सेंटर से जांच कराने का कहते हैं। कई बार दो सेंटरों द्वारा कराई गई एक ही जांच की अलग-अलग रिपोर्ट आती है। 

जल्द लागू होंगे नियम

डायग्नोस्टिक सेंटरों पर होने वाली विभिन्न जांचों की न्यूनतम और अधिकतम कीमतें तय करने के लिए काम किया जा रहा है। डायग्नोस्टिक सेंटर अपनी लागत से अधिक कीमत नहीं वसूल सकते। हम इसे जल्द लागू करेंगे। 

-रुस्तम सिंह, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, मप्र शासन

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