- जी.एस. यादव
इंदौर। कई बरसों से कागजों पर दौड़ रही मेट्रो ट्रेन के साकार होने का समय जल्द ही पूरा होगा। मेट्रो योजना अब मूर्तरूप ले चुकी है। साल 2018 यानी अगले वर्ष से मेट्रो निर्माण शुरू हो जाएगा, जिसे आगामी 4-5 साल में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जैसे ही मेट्रो रेल परियोजना को मंजूरी दी, वैसे ही इंदौर कलेक्टर से एमपी मेट्रो प्रोजेक्ट के डीसी जितेंद्र दुबे ने चर्चा की। कलेक्टर को बताया कि प्रथम चरण में 7522 करोड़ रुपए की लागत से 31.58 किलोमीटर तक मेट्रो लाइन बिछाई जाएगी। इसके साथ ही मेट्रो लाइन के दोनों तरफ के फीडर क्षेत्रों के विकास की रूपरेखा भी निर्धारित की गई।
अटकलों को लगा विराम
इंदौर-भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर नेताओं के बयानों वाली बौछारें कई साल से हो रही थीं। लेकिन योजना को लेकर केवल कागजी घोड़े ही दौड़ाए जा रहे थे। काम कब शुरू होगा, इसे लेकर अटकलें लगती रही। दिल्ली में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अब अटकलों को विराम दे दिया है। नई मेट्रो रेल नीति को मंजूरी मिल गई है। केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने के बाद इंदौर में बुधवार को कलेक्टर निशांत वरवड़े से एमपी मेट्रो प्रोजेक्ट के डीसी जितेंद्र दुबे ने चर्चा की। उन्होंने बताया कि इंदौर में प्रथम चरण में 7522 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। यह काम जनवरी 2018 से शुरू हो जाएगा और प्रोजेक्ट को अलग-अलग चरणों में पूरा किया जाएगा। यह कार्य 4-5 सालों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
नई नीति के तहत निर्धारित कुछ शर्तें
नई नीति के तहत केंद्रीय सहायता प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी घटक अनिवार्य होगा। सभी मेट्रो रेल परियाजनाओं के संदर्भ में केंद्र से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए मेट्रो रेल परियोजना या उसके किसी अन्य घटक, किराया संग्रहण, संचालन और रखरखाव इत्यादि के लिए निजी भागीदारी आवश्यक होगी। मेट्रो परियोजना को पूरा करने के लिए राज्यों को और अधिक शक्तियां प्राप्त होंगी। नीति के तहत वैकल्पिक तरीकों की जांच आवश्यक होगी और तृतीय पक्ष (थर्ड पार्टी) द्वारा प्रस्तावों का कड़ाई से आकलन किया जाएगा।
नई मेट्रो नीति से बढ़ेगा निवेश
केंद्रीय मंत्री मंडल ने नई मेट्रो रेल नीति को मंजूरी दी है। इससे मेट्रो परिवहन का सपना साकार हो गया है। मेट्रो संचालन के विविध क्षेत्रों में निजी निवेश के लिए भी बड़ा रास्ता खुल गया है। वर्तमान समय में देश के सात शहरों में 370 किमी मेट्रो रेल संचालित हो रही है, जबकि 12 शहरों में 537 किमी मेट्रो लाइनें निर्माणाधीन हैं। इसके साथ ही 600 किमी मेट्रो लाइनों के प्रस्ताव विचाराधीन हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के 381 किमी के लिए क्षेत्रीय रैपीड लाइन भी प्रस्तावित हैं।
फीडर क्षेत्र विकास योजना निर्धारित
केंद्र सरकार ने जो नई नीतियां तैयार की हैं, उसके तहत मेट्रो स्टेशनों के दोनों तरफ पांच किलोमीटर फीडर क्षेत्र के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। राज्यों को फीडर सेवाओं के जरिए परियोजना रिपोर्ट में प्रतिबद्धता व्यक्त करनी होगी। इसके अलावा पैदल और साइकिल पथों के लिए गैर, मोटरीकृत परिवहन संबंधी बुनियादी ढांचे और परिवहन सुविधाओं को विकसित करने का प्रावधान रखना होगा। इन सेवाओं के लिए राज्यों द्वारा किए जाने वाले निवेश का विवरण परियोजना रिपार्ट में देना आवश्यक होगा। समग्र शहरी विकास लागत में कमी और बहुमॉडल पर ध्यान दिया जाएगा। नई नीति में सार्वजनिक परिवहन के लिए सबसे किफायती प्रणाली सुनिश्चित करनी होगी। इसमें बीआरटीएस लाइट रेल ट्रांजिट ट्रॉम-वे और क्षेत्रीय रेल जैसे परिवहन की अन्य प्रणालियों का मूल्यांकन और वैकल्पिक विश्लेषण देना भी जरूरी होगा।
इंदौर और भोपाल के लिए उपयोगी है मेट्रो ट्रेन
मेटो प्रोजेक्ट को कई मोड में तैयार किया जाना है, जिसमें एलिवेटेड और अंडरग्राउंड कार्य भी सम्मिलित हैं। बड़ा गणपति चौराहा से स्टेशन तक प्रोजेक्ट को अंडरग्राउंड मोड में तैयार किया जाएगा। कुछ समय पहले मंत्रियों के बयान आए थे, जिसमें मेटो प्रोजेक्ट की लायबिलिटी को लेकर कई तरह से प्रश्न उठाए जा रहे थे। मेट्रो प्रोजेक्ट इंदौर और भोपाल दोनों ही शहरों के लिए पूरी तरह से उपयोगी हैं। आगामी वर्ष से दोनों ही शहरों में इसका काम एक साथ शुरू होने जा रहा है।
-जितेंद्र दुबे (एमपी मेट्रो प्रोजेक्ट डायरेक्टर टेक्निकल)