- विनोद शर्मा
इंदौर। सिंहस्थ 2016 को सफल बनाने और मालव माटी को तर करने के बाद नर्मदा का पानी मालवा के औद्योगिक क्षेत्रों की प्यास भी बुझाएगा। औद्योगिक संगठनों की मांग पर एक योजना का खाका खींचा गया है, जिसके तहत ओंकारेश्वर डेम से 15 क्यूबिक/सेकंड (15 हजार लीटर/सेकंड) पानी लिफ्ट करके देवास, मक्सी, शाजापुर, नागदा, घट्टिया के उद्योगों को पहुंचाया जाएगा। अनुमान के अनुसार योजना पर 2500 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च आएगा।
नागदा, उज्जैन, शाजापुर क्षेत्रों में उठी पानी की मांग
2014-15 में नर्मदा-शिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना अपेक्षानुसार सफल रही। इसके बाद 2016 में नर्मदा-मालवा गंभीर लिंक पर काम शुरू हुआ, जो 2018 तक पूरा हो जाएगा। अब नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) ने नर्मदा-इंडस्ट्रियल वॉटर योजना पर काम शुरू कर दिया है। नागदा, उज्जैन, शाजापुर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों से उठी पानी की मांग को गंभीरता से लेते हुए डिपार्टमेंट योजना तैयार कर रहा है। सब कुछ ठीक रहा, तो 2021-22 तक मालवा के सभी औद्योगिक क्षेत्रों में नर्मदा का पानी कारखानों की प्यास बुझा देगा।
220 किमी से ज्यादा लंबी लाइन
एनवीडीए पहली बार ओंकारेश्वर डेम से डायरेक्ट पानी लिफ्ट करेगा। अब तक बड़वाह से बह रही नहर का पानी लिफ्ट किया जाता रहा है। बताया जा रहा है कि प्रोजेक्ट के तहत करीब 70 किमी लंबी राइजिंग मेनलाइन डलेगी। इसके अलावा 150 किमी से ज्यादा ग्रेविटी मेन लाइन डलेगी, जो इंदौर में बनने वाले एक स्टेशन से अलग-अलग शहरों तक पानी पहुंचाएगी। लाइन दो दिशा में जाएगी। एक इंदौर से उज्जैन-नागदा और दूसरी इंदौर से देवास-मक्सी-शाजापुर। योजना के तहत 4-5 पंपिंग स्टेशन बनेंगे।
कारखाने से लेकर खलिहान तक नर्मदा
योजना का लाभ देवास के 500 से ज्यादा, मक्सी के 300 से ज्यादा, नागदा के 300 से ज्यादा, उज्जैन के 300 से ज्यादा और उन्हेल-घट्टिया के 100 से ज्यादा गांवों को मिलेगा। साथ ही इस पानी से 30 हजार हेक्टेयर 75 हजार एकड़ जमीन की सिंचाई भी होगी। आवश्यकतानुसार क्षेत्रों को पेयजल भी मिलेगा।
उद्योगों को प्राथमिकता
नर्मदा-गंभीर के बाद माना जा रहा था कि मप्र के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान नर्मदा-कालीसिंध योजना पर काम करेंगे, जो कि उनकी प्राथमिकता थी। हालांकि पानी की कमी से बेहाल उद्योगों को बचाए रखने के लिए मुख्यमंत्री ने अपनी प्राथमिकता को एक तरफ करते हुए नर्मदा-इंडस्ट्री वॉटर पर काम करने का मन बनाया है।
2024 तक लेना है भरपूर पानी
12 दिसंबर 1979 को मप्र, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के बीच नर्मदा जल दोहन को लेकर जो समाझौता हुआ था वह 2024 में पूरा हो जाएगा। इसके तहत मप्र 18.25 लाख मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) यानी 22511.01 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी का हकदार था। संसाधनों की कमी के कारण मप्र अब तक बमुश्किल 12 एमएएफ पानी का दोहन ही कर पा रहा है। यह भी माना जा रहा है कि नर्मदा-कालीसिंध और नर्मदा-पार्वती पर भी समानांतर काम शुरू हो सकता है।