- विनोद शर्मा
इंदौर। एक के बाद एक हाउसिंग प्रोजेक्ट में सामने आ रही बिल्डरों की जालसाजी से खौफजदा संभ्रांत परिवार के जिन लोगों ने जीवनभर की जमापूंजी लगाकर आनंदवन में फ्लैट खरीदे थे वे आज आईडीए के हाथों ठगा महसूस कर रहे हैं। आईडीए ने अपने सबसे महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट के रूप में आनंदवन की ब्रांडिंग करते हुए रंगीन ब्रोशर पर सुविधाओं के जो सब्जबाग दिखाए थे वह दो साल बाद भी मौके पर नजर नहीं आते। फिर मुद्दा स्वीमिंग पुल, जिम, स्पा जैसी सुविधाओं से लैस क्लब हाउस का हो या कंस्ट्रक्शन क्वालिटी का। यही नहीं निजी टॉउनशिप से ज्यादा पैसा लगाने के बावजूद यहां रहने वालों को लिफ्ट, सफाई और सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नसीब नहीं हो रही हैं। आईडीए का ड्रीम प्रोजेक्ट है स्कीम-140 स्थित आनंदवन। इसके तहत नौ टॉवर बनना थे। अब तक बने चार टॉवर हैं जिनमें कुल 204 फ्लैट है।
मप्र में किसी भी प्राधिकरण द्वारा विकसित की गई यह पहली लक्जीरियस हाईराइज है। दो साल तक मेंटनेंस करने के बाद प्राधिकरण ने हाईराइज रहवासियों को करीब-करीब सौंप दी है। हालांकि रविवार को हुई रहवासी संघ की पहली ही बैठक में प्रोजेक्ट और प्राधिकरण के दावों की पोल खुल गई। दूसरी मंजिल पर छत का पानी छोड़ दिया है। यहां कीचन में पानी भरता है। ओपन एरिया फ्लैट्स में रहने वालों की प्राइवेसी भंग कर रहा है। जाली गेट में लॉक सिस्टम नहीं है।
ठगा है आईडीए ने..
यहां कि ग्रहणियों का कहना है कि जो भरौसा था उस पर आईडीए खरा नहीं उतरा। हम ठगाए महसूस कर रहे हैं। सीपेज, रोशनी, लिफ्ट, सफाई, सुरक्षा जैसे शॉर्ट टर्म प्रॉब्लम हो या फिर क्लब हाउस की कमी और कंस्ट्रक्शन क्वालिटी जैसे लांग टर्म मुद्दे, लड़ना ही शायद नसीब बन गया है। एमपी-एमएलए जहां भी शिकायत करना पड़ी, करेंगे। अब तक शिकायतें कई की लेकिन निराकरण नहीं हुआ। फ्रंट की बाउड्रीवाल छोटी है। आसामाजिक तत्व और जानवर आ जाते हैं। कोई रोकटोक नहीं है।
संभ्रांत परिवार के लोग हैं परेशान
कुल 204 फ्लैट। चार टॉवर। इनमें 112 फ्लैट एमपी-एमएलए और विशेष व्यक्तियों के लिए आरक्षित किए गए थे। 92 ही आमजनों को मिले। बाकी जनरल केटगरी-9, एसटी-23, एसटी महिला-2, एससी-13, एससी महिला-5, विकलांग-5, मीडिया और कलाकार-6, एमपी-एमएलए- 18, पिछड़ा वर्ग-9, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी-7, पूर्व आर्मी मेन-4, आईडीए अधकारी-4 फ्लैट आरक्षित है।
आउटर दीवारें 9 के बजाय 4 इंच
बाहरी दीवारों की मोटाई नौ इंच की होना चाहिए लेकिन सब चार इंच की हैं, जिससे सीपेज आता है। डेÑनेज से संंबंधित समस्याएं हैं। हर कभी लाइन चोक हो जाती है। कई आवासीय फ्लैट्स के व्यावसायिक उपयोग हो रहे हैं। निर्माण इकाइयां भी चल रही हैं। सुरक्षाकर्मी भी सिर्फ नाम के हैं।
- डॉ. महेश मरमट
क्लब हाउस नहीं बना
पजेशन दिया तब से ही सीपेज की समस्या है। ब्रोशर दिखाकर कहा था हम सरकारी एजेंसी हैं, आंख बंद करके फ्लैट्स खरीदिए। नौ टॉवर का प्रोजेक्ट था। चार बने। आईडीए प्रोजेक्ट कंपलीट मान चुका है जबकि जिमनेशियम, सोना बाथ, योगा, किड्स प्लेग्राउंड सुविधाओं वाला क्लब हाउस अब तक नहीं बना।
- डॉ. धर्मेंद्र झंवर
कंस्ट्रक्शन क्वालिटी खराब
क्वालिटी कंस्ट्रक्शन कमजोर है। पहले दिन से ही टाइल्स उखड़ रही हैं। किचन खराब बनाकर दिए। सभी ने तोड़कर बनाए। फ्रीज रखने की जगह नहीं है। गैस पॉइंट दिया लेकिन इस्तेमाल लायक नहीं है। लिफ्ट से लेकर सीढ़ियों तक भी अंधेरा है। सुरक्षा और सफाई के पैसे देने के बाद भी व्यवस्था नहीं है।
- जितेंद्र जैन